दिल्ली

गुरुग्राम में दो इंजीनियर्स ने घर बैठे 52 लाख रुपये खो दिए

गुरुग्राम में दो इंजीनियर्स ने घर बैठे 52 लाख रुपये खो दिए

लालच एक बुरी आदत है..।यह बात बड़े-बुजुर्गों ने कई बार कही है, लेकिन कुछ लोगों को समझ नहीं आया। इससे शहर में साइबर ठगों ने फिर से दो इंजीनियर्स से 52 लाख रुपये से अधिक ऐंठ लिए। पुरानी प्रक्रिया है। दो इंजीनियरों को पार्ट-टाइम नौकरी के नाम पर फंसाया गया था। इसके बाद उन्होंने काम भी दिया और शुरू में बड़ा मुनाफा भी मिला। जब पीड़ितों को लगता था कि वे बिना काम किए घर बैठे करोड़पति बन सकते हैं, साइबर ठगों ने अपना जाल फैलाया। एक इंजीनियर ने 38.11 लाख रुपये प्राप्त किए और दूसरा 13.78 लाख रुपये प्राप्त किए। दोनों मामलों में बल्लभगढ़ थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

शुरू में कुछ धन मिलने पर सेक्टर-65 निवासी रविंदर कुमार ने लोन लेकर 35 लाख रुपये लगाए। 23 सितंबर को उनके पास टेलिग्राम पर एक संदेश आया था। मेसेज करने वाले ने अपना नाम अंकिता शर्मा बताया और एक कंपनी में HR मैनेजर है। यह कहा गया था कि ऑनलाइन काम करने पर धन मिलेगा। कुछ वेबसाइटों पर रिव्यू लिखने, वीडियो लाइक करने और कमेंट करने से घर बैठे पैसे मिलेंगे। रविंदर काम करने को राजी हो गया। रविंदर ने कहा कि शुरुआत में हर काम पर धन आता था। इसलिए वह हर बार अधिक पैसे निवेश करता था।

गुरुग्राम में दो इंजीनियर्स ने घर बैठे 52 लाख रुपये खो दिए

ऐसा करने के बाद ठगों ने 87,000 रुपये वापस लिए। रविंदर को बाद में बड़ा रिटर्न मिलने का झांसा देने के लिए एक ग्रुप में शामिल किया गया। उस समूह में मोटी कमाई की बातें होती थीं। कोई पच्चीस हजार रुपये निवेश कर रहा था, तो कोई दो लाख रुपये। रविंद्र भी झांसे में आ गए। उनसे कहा गया था कि उनका प्रीमियम अकाउंट बनेगा। पीड़ित ने अकाउंट बनाने की अनुमति दी।

बैंकों से पर्सनल लोन लेने वाले जालसाजों ने उन्हें यूजर आईडी और पासवर्ड दिया। पीड़ित को बताया गया था कि उसके सारे निवेश ऑनलाइन देखे जा सकेंगे। इसके बाद उसे निवेश करने के लिए कई काम दिए गए। रविंदर ने भी आधार कार्ड की एक ऑनलाइन प्रति मंगवाई। एक लाख रुपये देने के बाद वापस लेने की धमकी दी गई। उसने कहा कि उसके परिवार को मार डालेंगे। रविंदर इसलिए भयभीत हो गए। रविंदर ने बताया कि उन्होंने इंवेस्ट किए हुए पैसे निकालने के लिए कई बैंकों से व्यक्तिगत लोन लिया था।

उन्हें कभी टैक्स के लिए पैसे मांगे जाते थे, तो कभी अकाउंट को सुधारने के लिए। रविंदर के पास लगभग चार लाख रुपये की जमा पूंजी थी। वह हार गया तो उन्होंने लोन लिया। 38.11 लाख रुपये गंवाने के 12 दिन बाद, तीन अक्टूबर को वह पुलिस थाने पहुंचे और पता चला कि उनके साथ साइबर फ्रॉड हुआ है। 20 नवंबर को जांच के बाद पुलिस ने मामले में केस दर्ज किया है।

सेक्टर-3 का दूसरा मामला कोरोना काल में नौकरी गई और जमा पूंजी भी गंवा बैठी है। पीड़ित मिकैनिकल इंजीनियर रमेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि उनकी नौकरी कोरोना काल में चली गई थी। सात जनवरी को उनका संपर्क एक मार्केटिंग एजेंसी से हुआ। अलिया नाम की एक युवा ने टेलिग्राम पर संदेश भेजा कि वे घर बैठे ऑनलाइन रिव्यू करने पर धन प्राप्त करेंगे। शुरुआत में उन्हें रिव्यू पैसे मिलने लगे, फिर काम पूरा करने को कहा गया।

उनसे पहले पांच हजार रुपये लगाए गए, फिर बीस हजार रुपये लगाए गए। शुरुआत में पैसे वापस लिए गए, लेकिन बाद में १३ लाख रुपये से अधिक ठग लिए गए। रमेश ने बताया कि उनकी जमा पूंजी आठ लाख रुपये थी। वह निवेश करने के बाद उन्हें अधिक मोटे लाभ की पेशकश की गई। मित्रों और परिजनों से उधार लेकर उन्होंने छह लाख रुपये और लगाए। जब वे पैसे वापस मांगने लगे, ठगों ने उन्हें अधिक निवेश करने को कहा।

पीड़ित ने कहा कि वे पहले 13.78 लाख रुपये निवेश कर चुके थे, लेकिन अब उनके पास कोई पैसा नहीं था। पीड़ित ने 10 दिन के अंदर यह धन लगाया था। पैसे वापस नहीं मिलने पर उन्हें ठगी लगी। 16 जनवरी को पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस से की। 20 नवंबर, पुलिस ने जांच पूरी करने के ग्यारह महीने बाद केस दर्ज किया।

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