जन्माष्टमी देशभर में मनाया जाएगा: गुजरात के राजकोट में 5 दिन का मेला लगा, जश्न के लिए मथुरा को सजाया गया

आज देश में जन्माष्टमी का पहला दिन है। जन्माष्टमी इस वर्ष 6 और 7 सितंबर को मनाई जाएगी। ग्रंथों के अनुसार, ये श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव है। 6 तारीख की रात से जन्माष्टमी त्योहार मनाया जाएगा। ज्योतिषियों का मत है कि कृष्ण जन्मोत्सव को 6 की रात ही मनाना चाहिए क्योंकि इसी रात तिथि-नक्षत्र का वह ही संयोग बन रहा है जो द्वापर युग में हुआ था।

कृष्ण के जन्मदिन पर उनकी जन्मस्थली मथुरा को सजाया गया है। कृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी को देश भर में अन्य कृष्ण मंदिरों में भी मनाया जा रहा है। वैष्णव संप्रदाय के अनुसार द्वारका, वृंदावन और मथुरा जैसे बड़े कृष्ण मंदिरों में 7 तारीख को ये पर्व मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव 7 और 8 की दरमियानी रात 12 बजे होगा।

जन्माष्टमी पर गुजरात के राजकोट में मंगलवार से पांच दिन का मेला शुरू हो गया है। 9 सितंबर तक यह मेला जारी रहेगा। महाराष्ट्र और गुजरात में जन्माष्टमी का उत्सव शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस साल की दही हांडी के लिए प्रो गोविंदा प्रतियोगिता का आयोजन किया है, जिसके विजेता को नगद पुरस्कार मिलेगा।

जन्माष्टमी देशभर में मनाया जाएगा

मंगलवार 5 सितंबर को पुरी बीच पर, सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं।
मंगलवार 5 सितंबर को पुरी बीच पर, सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं।
जन्माष्टमी देशभर में मनाया जाएगा: गुजरात के राजकोट में पांच दिन का मेला लगा, जश्न के लिए मथुरा को सजाया गया

कोच्चि में मंगलवार 5 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी से पहले मानसून की बारिश के बीच बच्चे उरियादी मनाते हुए दिखाई दिए।
कोच्चि में मंगलवार 5 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी से पहले मानसून की बारिश के बीच बच्चे उरियादी मनाते हुए दिखाई दिए।

जन्माष्टमी बनारस में 6 सितंबर को ही मनाई जाएगी। हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के डीन प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री ने कहा कि धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु ग्रंथों की मदद से व्रत और पर्वों की तारीखें निर्धारित की जाती हैं। इन दोनों ग्रंथों में कहा गया है कि जन्माष्टमी को आधी रात में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाएं। कृष्ण जन्म पर्व 6 से 7 सितंबर की रात को मनाएं।

अधिकांश त्योहार दो दिन क्यों होती हैं?
इसका कारण यह है कि हिंदू पंचांग की तिथियां अंग्रेजी कैलंडर के अनुरूप नहीं होतीं। तिथियां अक्सर दोपहर या शाम से शुरू होकर अगले दिन तक चलती हैं। ज्यादातर उदया तिथि में मनाई जाती हैं, जिस तिथि में दिनभर व्रत के बाद पूजन का महत्व होता है।

जिन तिथियों में रात की पूजा अधिक महत्वपूर्ण होती है, उनमें उदया तिथि का महत्व कम होता है। जैसे दीपावली में अगर अमावस्या एक दिन पहले शुरू हो गई हो तो अगले दिन उदया तिथि की अमावस्या पर रात में पूजन नहीं किया जाएगा, बल्कि एक दिन पहले की अमावस्या पर पूजन किया जाएगा।

Related Articles

Back to top button
करी पत्ते के 10 स्वास्थ्य लाभ बिग बॉस ओटीटी 3 प्रतियोगियों की सूची जून-जुलाई 2024 में रिलीज़ होगी 10 सडेजडेजर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज़ भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक [2024] मेथी के बीज के 7 फायदे गर्मियों में स्वस्थ रहने के लिए अपनाएं ये 5 ड्रिंक्स S नाम वाले लोगों का स्वभाव Holi 2024 Date Upcoming Indian movies 2024 Best Gaming Zones in Delhi NCR
करी पत्ते के 10 स्वास्थ्य लाभ बिग बॉस ओटीटी 3 प्रतियोगियों की सूची जून-जुलाई 2024 में रिलीज़ होगी 10 सडेजडेजर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज़ भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक [2024] मेथी के बीज के 7 फायदे
करी पत्ते के 10 स्वास्थ्य लाभ बिग बॉस ओटीटी 3 प्रतियोगियों की सूची जून-जुलाई 2024 में रिलीज़ होगी 10 सडेजडेजर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज़ भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक [2024] मेथी के बीज के 7 फायदे गर्मियों में स्वस्थ रहने के लिए अपनाएं ये 5 ड्रिंक्स S नाम वाले लोगों का स्वभाव Holi 2024 Date Upcoming Indian movies 2024 Best Gaming Zones in Delhi NCR