दिल्ली: जहरीली हवा देने वाली बीमारियों से पीड़ित 20 प्रतिशत मरीजों में वृद्धि

जहरीली हवा देने वाली बीमारियों से पीड़ित 20 प्रतिशत मरीजों में वृद्धि

दिल्ली: लोगों में दमघोंटू हवा और मौसम के बदलते हालात से बीमारियां बढ़ गई हैं। कुल मिलाकर, पिछले दो से तीन दिनों में मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। डॉक्टरों ने बताया कि अधिकांश मरीज सांस और एलर्जी के साथ सर्दी, खांसी, बुखार और गले में खराश की शिकायत कर रहे हैं। सिगरेट और बीड़ी पीने वाले लोगों में सबसे अधिक समस्या है। जो किसी इमरजेंसी परिस्थिति में अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।

 

इमरजेंसी में लग रही भीड़ एलएनजेपी अस्पताल में आम दिनों में लगभग 7 हजार मरीजों की ओपीडी होती है, लेकिन इन दिनों ओपीडी में मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है। इमरजेंसी में शुक्रवार को ओपीडी खत्म होने के बाद मरीजों की बहुतायत देखने को मिली। सांस फूलने की तकलीफ से पीड़ित मरीज के परिजनों ने बताया कि आज से पहले उन्हें ऐसा कभी नहीं हुआ था।

 

दिल्ली में जहरीली हवा नियंत्रण के लिए अगले कदम क्या होंगे? NGT का कड़े कदम उठाने का आदेश समझिए।

जहरीली हवा देने वाली बीमारियों से पीड़ित 20 प्रतिशत मरीजों में वृद्धि

परिजनों ने बताया कि वह सिगरेट और शराब पीता है। मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि स्मोकिंग का मुख्य कारण मरीज का फेफड़ा कमजोर हो गया है। जिससे मरीज की सांस फूलने लगी है क्योंकि प्रदूषण फेफड़े पर पड़ा है। अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि इमरजेंसी में सांस रोगी और कोरोना से पीड़ित मरीजों को अधिक प्रदूषण की वजह से ज्यादा परेशानी हो रही है।

पूर्वी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में खांसी, जुकाम और एलर्जी के मरीजों की संख्या इन दिनों बहुत बढ़ गई है। कुल मिलाकर, कतार में हर मरीज मास्क लगाए हुए दिखाई देता है। अस्पताल में तैनात डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर डॉ. पुनीता ने बताया कि पल्यूशन के दौरान टीबी से पीड़ित मरीजों की समस्याएं न सिर्फ बढ़ी हैं, बल्कि वे जो टीबी से स्वस्थ हो गए हैं, वे सांस लेने में कठिनाई और सीने में जकड़न की शिकायत कर रहे हैं। इनमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग सब शामिल हैं। वर्तमान में ओपीडी में लगभग 20% मरीजों की संख्या बढ़ी है।

ऐसे में लोगों से अपील की जाती है कि वे बेवजह बाहर नहीं निकलें। लेडी हॉर्डिंग अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुभाष गिरि ने बताया कि अस्पताल में अधिक लोग गले में खराश, अस्थमा और आंखों में एलर्जी से पीड़ित हैं। जिन मरीजों को पहले से सांस की समस्याएं हो रही हैं, उन्हें भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है।

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