पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में “पूर्व सैनिक” शब्द को लेकर मांग की गई प्रतिक्रिया
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में “पूर्व सैनिक” शब्द को लेकर मांग की गई प्रतिक्रिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय सेना की एक पूर्व महिला अधिकारी की याचिका पर नोटिस जारी कर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने केद्र सरकार से कहा है कि वे पूर्व सैनिक शब्दों को लिंग तटस्थ और लिंग समावेशी शब्दों में बदल दें। उन्हें लिंग-तटस्थ और समावेशी शब्दों जैसे “पूर्व सैनिक सदस्य” या “dogs of War” का उपयोग करने की मांग की है।
भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारियों में से एक पूर्व कैप्टन सुखजीत पाल कौर सनेवाल ने यह याचिका दाखिल की है। सुखजीत पाल कौर की याचिका के अनुसार, उन्हें dogs of War नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि वे महिला हैं, पुरुष नहीं। केंद्र को हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति निधि गुप्ता की खंडपीठ ने नोटिस भेजा है।
याचिका में प्रस्तुत ये बहस
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याचिका में कैप्टन सुखजीत पाल कौर सानेवाल ने कहा कि वह सेना में पहली शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों में से एक थीं। जबकि अधिकांश महिलाएं नर्सों और चिकित्सकों के रूप में सेना में थीं। 1990 के दशक में वे हथियारों और सेवाओं में भी काम कर रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं को कमान भी दी है।
याचिका में दावा किया गया है कि सरकारी नीतियों और योजनाओं में पूर्व सैनिकों और अधिकारियों को एक्स-सर्विसमैन के रूप में संदर्भित किया जाता है। लेकिन ये प्रथाएं केवल गलत-लिंग कीरण की ओर ले जाने के साथ-साथ पुरानी भी लगती हैं, इसलिए पूर्व सैनिक या पूर्व सैनिक जैसे शीर्षकों में ‘पुरुष’ या ‘पुरुष’ शब्दों का इस्तेमाल भेदभावपूर्ण, पुराना, समानता के सिद्धांत के खिलाफ और भारत के संविधान के खिलाफ लगता है।