रेरा ने कहा, “चार फ्लैट की जगह में 20 फ्लैट्स बन रहे हैं”, जिससे रजिस्ट्री पर हंगामा हुआ।

रेरा ने कहा, “चार फ्लैट की जगह में 20 फ्लैट्स बन रहे हैं”, जिससे रजिस्ट्री पर हंगामा हुआ।

दिल्ली की बढ़ती आबादी हर किसी को चिंतित कर रही है। दिल्ली रेरा ने बताया कि 20 फ्लैट्स महज 200 गज जमीन पर बनाकर बेच रहे हैं, नियमों का उल्लंघन करते हुए। नियमों के अनुसार, यहां केवल चार फ्लैट्स बनाए जा सकते हैं। यही कारण है कि यह लोग हर मंजिल पर एक बड़ा फ्लैट बनाते हैं। नक्शा पास करने के लिए इसमें एक पेंट्री दिखानी चाहिए। इसके बाद उसे आठ फ्लैट्स में बदलकर बेच देते हैं। इसलिए उन्होंने एजेंसियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने को कहा है। इस निर्देश के बाद, रजिस्ट्री ऑफिसों से लेकर बिल्डर और आम लोगों में हड़कंप मच गया है।

 

लोगों को डर है कि फ्लैट्स की रजिस्ट्री अब होगी या नहीं। बिल्डर भी चिंतित हैं कि उनके फ्लैट्स बेचे जाएंगे या नहीं। दिल्ली रेरा के अनुसार, 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कितने बड़े प्लॉट पर कितने घर बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन यह लागू नहीं हुआ। बिल्डरों ने पिछले कुछ समय में रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया, तो एप्लिकेशन की जांच से पता चला कि जमीन पर निर्धारित सीमा से अधिक फ्लैट्स बन रहे हैं। उन आवेदनों को फिर से भेज दिया गया।

रेरा के एक अधिकारी ने बताया कि ये मामले सामने आने के बाद ही हमने यह निर्देशन जारी किया था। इस निर्देश में कुछ भी नया नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह नियम 2008 में ही लागू किया था। हमने बस सुप्रीम कोर्ट के उन नियमों का सख्ती से पालन करने की मांग की है। अधिकारी ने बताया कि फिलहाल दिल्ली की जनसंख्या सबसे अधिक है। नियमों को ताक पर रखने के बावजूद फ्लैट्स बनते ही जा रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में दिल्ली में सुधार की कोई संभावना नहीं दिखाई देती। 200 गज के प्लॉट पर 20 से 20 फ्लैट्स बन रहे हैं।

रेरा ने कहा, "चार फ्लैट की जगह में 20 फ्लैट्स बन रहे हैं", जिससे रजिस्ट्री पर हंगामा हुआ।

अधिकारी ने कहा कि जब हमने इन मामलों की गहन जांच की तो पता चला कि फ्लैट्स किचन के साथ हैं। बिल्डर नक्शे में तय सीमा में फ्लैट्स दिखाते हैं। शेष दो या चार में किचन की जगह स्टोर रूम या पूजा घर दिखाकर नक्शा पास करवा लेते हैं। उसे बाद में मॉडिफाई करते हैं। यह भी देखा गया है कि बड़े फ्लैट्स का नक्शा पास करके उसे तोड़कर दो छोटे फ्लैट्स बनाए जाते हैं। फ्लैट खरीदने वालों को वास्तविक स्थान का पता नहीं होता।

कितना फ्लैट बन सकता है? उस जगह पर चार या छह फ्लैट्स बनाना गैरकानूनी है। दिल्ली रेरा ने एमसीडी, दिल्ली कैंट बोर्ड, एनडीएमसी और डीडीए को इस खामी का पता लगाने के बाद यह निर्देश भेजे हैं।निर्देश में सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन करने का आह्वान किया गया है। नक्शे में हर फ्लैट को इन नियमों का पालन करके एक नंबर मिलेगा। यह संख्या एक या दस के फार्मेट में होगी। इस संख्या का अर्थ है कि जमीन पर कुल दस फ्लैट हैं, जिसमें से यह एक फ्लैट है। साथ ही फ्लैट क्षेत्र लिखें।

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रेरा की शिकायतें कहाँ से आईं?

ग्रेटर कैलाश, पंजाबी बाग, पंचशील, उत्तम नगर आदि स्थानों में 10 की जगह 12 से 16 फ्लैट्स के आवेदन मिले हैं। रेरा चेयरमैन आनंद कुमार ने बताया कि यह कोई नया आदेश नहीं है। हमने सिर्फ 2008 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने को कहा है। इस आदेश से राजधानी में बन रहे अवैध फ्लैट्स कम होंगे और हालात सुधरेंगे।रेरा से मिली जानकारी के अनुसार, वह पंचशील में एक बिल्डर का रजिस्ट्रेशन नहीं करने पर कोर्ट गई। कोर्ट ने रेरा के पक्ष में फैसला दिया और कहा कि घरों को सिर्फ नियमों के अनुसार बनाया जाएगा।

 

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