आज सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून पर सुनवाई होगी: मई में, केंद्र ने कहा कि वे रिव्यू कर रहे हैं और अगस्त में समाप्त करने का बिल पेश करेंगे।

 सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून

सुप्रीम कोर्ट आज 152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले को सुनवाई करेगी।

1 मई को, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि IPC की धारा 124A की समीक्षा की जा रही है, जो राजद्रोह को अपराध घोषित करती है। इसके बाद सुनवाई कोर्ट ने स्थगित कर दी थी।

हालाँकि, 11 अगस्त 2023 को गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 163 साल पुराने 3 कानूनों में बदलाव के लिए बिल पेश किया, जो सुनवाई की तारीख आने से पहले ही पेश किया गया था। इसमें राजद्रोह का कानून भी खत्म होना चाहिए।

2 जून को लॉ कमीशन ने कहा कि राजद्रोह कानून आवश्यक था। आयोग ने कहा कि IPC में भारतीय दंड संहिता की धारा 124A को बनाए रखना चाहिए। इसे हटाने का कोई वैकल्पिक तरीका नहीं है। यद्यपि, कानून की व्याख्या को अधिक स्पष्ट बनाए रखने के लिए कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।

2 जून 2023 को, लॉ कमीशन ने ये प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगाया था
2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 124A की पुनर्विचार प्रक्रिया पूरी नहीं होने तक इसके तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। पुराने मामलों में भी कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस धारा के तहत जेल में बंद आरोपी जमानत की अपील कर सकते हैं।

पांच पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में दसवीं याचिकाएं दीं
पांच पक्षों (एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, TMC सांसद महुआ मोइत्रा) ने राजद्रोह कानून को चुनौती दी। मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस कानून को आज नहीं चाहिए।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त, मानसून सेशन के आखिरी दिन, अंग्रेजों के जमाने के कानून को खत्म करने का बिल लोकसभा में प्रस्तुत किया, जो अब राजद्रोह नहीं है, बल्कि देशद्रोह है। राजद्रोह कानून का नवीनीकरण सबसे बड़ा बदलाव है।

इस बिल में राजद्रोह शब्द को हटाकर देशद्रोह शब्द आएगा। और कठोर हैं। धारा 150 के तहत देश के खिलाफ कोई भी कृत्य, चाहे लिखा हो या बोला हो, संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो, 7 साल से उम्रकैद तक सजा हो सकती है।

देश की संप्रभुता और एकता को खतरा पहुंचाना कानून के खिलाफ होगा। आतंकवाद शब्द को भी परिभाषित किया गया है। IPC की धारा 124ए के अनुसार, राजद्रोह 3 साल से उम्रकैद तक हो सकता है।

मोदी सरकार ने राजद्रोह पर अपना रुख क्यों बदल दिया?

मोदी सरकार ने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए तीन मूलभूत कानूनों को हटाकर तीन नए कानूनों को लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें राजद्रोह कानून भी बताया गया है। यह भारतीय पीनल कोड (IPC) की धारा 124 में है। एनसीआरबी ने बताया कि इस कानून से 2021 में 86 लोग गिरफ्तार हुए थे। गृहमंत्री शाह ने लोकसभा को बताया कि हम इस कानून को समाप्त करेंगे।

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