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पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट, हुड्डा राज में SPRO भर्ती में फर्जी दस्तावेजों का आरोप लगाकर नौकरी खत्म कर सकता है

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट, हुड्डा राज में SPRO भर्ती में फर्जी दस्तावेजों का आरोप लगाकर नौकरी खत्म कर सकता है

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सरकार को हुड्डा शासनकाल में भर्ती सहायक लोक संपर्क अधिकारियों (एसपीआरओ) के अनुभव प्रमाण पत्र की तीन महीने के भीतर जांच करने का आदेश दिया। सरकार ने वादा किया कि दस्तावेजों की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। प्रदेश सरकार को जांच रिपोर्ट को तीन महीने के भीतर हाईकोर्ट में प्रस्तुत करना होगा।

हिसार निवासी अनिल असीजा की याचिका को हाईकोर्ट के जस्टिस एस.एस. सेठी ने खारिज कर दिया। 2008 में हरियाणा की हुड्डा सरकार ने 26 सहायक लोक संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 18 उम्मीदवारों को इन पदों पर नियुक्त किया। वेटिंग लिस्ट के कैंडिडेट ने कुछ चुने गए लोगों के अनुभव प्रमाण पत्र को फर्जी बताया। इस मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को प्रमाण पत्रों की जांच करनी पड़ी।

 

जांच के परिणाम क्या थे?
आयोग ने कोर्ट को दिए जवाब में कहा कि सरकार ने सहायक लोक संपर्क अधिकारियों के पदों की जानकारी मांगी थी, लेकिन कैंडिडेट्स के अनुभव प्रमाण पत्र की जांच नहीं की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि कुछ कैंडिडेट्स ने मीडिया संस्थानों के नाम से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नौकरी हासिल की है। कुछ उम्मीदवारों ने आवेदन की अंतिम तिथि बीतने के बाद अनुभव प्रमाण पत्र जमा करवाए थे। कोर्ट ने अनुभव प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच करने का ही आदेश दिया है।

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट, हुड्डा राज में SPRO भर्ती में फर्जी दस्तावेजों का आरोप लगाकर नौकरी खत्म कर सकता है

 

हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्यों की जांच से पता चलता है कि न तो चयन एजेंसी और न ही नियुक्ति प्राधिकारी ने चुने हुए उम्मीदवारों के दस्तावेजों को देखा है। विज्ञापन के अनुसार चुने गए उम्मीदवारों की योग्यता की जांच की जाएगी। क्या उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ सच्चे थे?

इस पर सरकार ने प्रतिवादी पक्ष को आश्वासन दिया कि दस्तावेजों की वास्तविकता को सत्यापित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि चयनित उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित हो सके। हाईकोर्ट ने कहा कि निजी प्रतिवादी को तथ्यों का पता लगाने के दौरान अपनी पात्रता और प्रामाणिकता के आधार पर बचाव करने का अवसर मिलना चाहिए क्योंकि वह लगभग आठ साल से सेवा में है।

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