हिमालय हिलता है तो दिल्ली कांप क्यों उठती है? भूकंप के झटकों को समझिए
हिमालय हिलता है तो दिल्ली कांप क्यों उठती है? भूकंप के झटकों को समझिए
दिल्ली हिमालय : दिल्ली-एनसीआर में देर रात भूकंप के झटकों से लोग घबरा गए। नेपाल में हिमालय भूकंप ने बहुत नुकसान पहुँचा है, हालांकि यहां सिर्फ झटके हुए। रिक्टर स्केल पर 6.4 तीव्रता का भूकंप वहाँ के पहाड़ी इलाकों में कई इमारतों और घरों को ढहा दिया। अब तक 130 से अधिक लोग मर चुके हैं। बहुत से लोग घायल हैं। मृतकों में जाजरकोट की डिप्टी मेयर सरिता सिंह भी शामिल हैं। नैशनल अर्थक्वेक मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर ने बताया कि भूकंप जाजरकोट जिले में हुआ था।
यह ठीक 11:47 पर आया था। राजधानी काठमांडू और आसपास के जिलों में भी इसके प्रभाव देखे गए। भारत में भी दिल्ली से बिहार और झारखंड तक झटके हुए। 2015 में नेपाल में 7.8 तीव्र भूकंप ने 9 हजार लोगों की जान ले दी थी। दिल्ली भी भूकंप से सुरक्षित नहीं है। भूकंप इस क्षेत्र में आ सकते हैं। दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ वर्षों में भूकंप के झटके लगातार महसूस किए गए हैं।
यह एडवांस फीचर्स वाले हवा शुद्धक हर घर में जहर को दूर करेगा।
नेपाल हिमालय में भूकंप से भयावह दृश्य
नेपाल टेलिविजन के अनुसार, भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र जाजरकोट और रुकुम हैं। जाजरकोट में इस भयंकर भूकंप के बाद कम से कम चार बड़े भूकंप भी हुए।
कई लोगों ने रात खुले में बिता दी। मलबे को हटाकर फंसे हुए लोगों को बाहर निकालते हुए लोगों को अंधेरे में ही देखा गया।
PM प्रचंड भी आज सुबह प्रभावित क्षेत्र में मेडिकल टीम के साथ पहुंचे। भारत ने हर संभव मदद का वादा किया है।
नेपाल में इस भूकंप से कई पुल गिर गए हैं और सड़कें बंद हो गई हैं। इससे राहत बचाव का काम प्रभावित हो रहा है।
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति समझें: दिल्ली उत्तर और पूर्व में गंगा के मैदानों से घिरी हुई है, पश्चिम में थार रेगिस्तान है, और दक्षिण में अरावली पहाड़ियां हैं।
दिल्ली का अधिकांश भाग समतल है, सिवाय लो SE-SSW ट्रेंडिंग रिज, जो राजस्थान की अरावली पहाड़ियों का विस्तार है।
दिल्ली की भूकंपीयता एक महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक संरचना से जुड़ी हुई है। दिल्ली-हरिद्वार रिज इसका नाम है।
यह दिल्ली के उत्तर-पूर्व में हिमालय पर्वत की ओर गंगा बेसिन के मैदानों के नीचे अरावली पर्वत बेल्ट के विस्तार के साथ मेल खाता है। भूकंप से कितनी संवेदनशील है दिल्ली हिमालय भूकंप से कितनी संवेदनशील है? दिल्ली भूकंप की तीव्रता और तीव्रता के आधार पर देश को अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। सिस्मिक जोन हैं। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) का कहना है कि इनके आधार पर ही इमारतों का डिजाइन बनाया जाता है। ये भूकंप की फ्रीक् वेंसी, क्षेत्र की जियोलॉजी और तकनीक पर आधारित हैं।
हिमालय भूकंप से संबंधित डेटा में बदलाव होता रहता है।
जोन 0 को 5 (V) से कम तीव्रता वाले क्षेत्र कहते हैं। दिल्ली जोन IV (4) में है, इसलिए भूकंप का खतरा अधिक है। यहाँ अक्सर भूकंप 5-6, कुछ 6-7 और कभी-कभी 7-8 तीव्रता के होते हैं। यही कारण है कि दिल्ली एक हाई रिस्क क्षेत्र है।
भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने से उत्तर भारत (हिमालय सहित) में भूकंपीयता या सीस्मिसिटी होती है। यह पिछले पांच सौ करोड़ वर्षों से निरंतर होता आया है। जब ये टकराती हुई प्लेटें झुकती हैं, तो वर्षा की तरह एनर्जी स् टोर होती है, और जब प्लेट का किनारा अंततः खिसकता है, तो भूकंप होता है।इस क्षेत्र से दो बड़ी रेलवे लाइनें गुजरती हैं: दिल्ली-हरिद्वार रिज और दिल्ली-मुरादाबाद फाल्ट। दोनों MSK VIII तीव्रता के भूकंप पैदा कर सकते हैं।
DDMA के अनुसार, इन भूकंपों की औसत गहराई 30 किमी होती है।
दिल्ली में भूकंप का इतिहास: दिल्ली के आसपास विनाशकारी भूकंप का इतिहास बहुत पुराना है। महाभारत में कुरुक्षेत्र में युद्ध के दौरान भूकंपों का उल्लेख है।
DDMA की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, 1720 AD से दिल्ली में 5.5 से 6.7 तीव्रता के पांच भूकंप हुए हैं।10 अक्टूबर 1956 को खुर्जा में भूकंप हुआ था। दिल्ली में कुछ लोग घायल हुए और
27 अगस्त 1960 को दिल्ली में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें लगभग 50 लोग घायल हो गए।
15 अगस्त 1966 को मुरादाबाद के निकट एक भूकंप ने दिल्ली में 14 लोगों को मार डाला।
28 जुलाई 1994 को दिल्ली में जामा मस्जिद की एक मीनार को 4.0 तीव्रता का भूकंप नुकसान पहुँचा था।