भारतदिल्ली

10 महिला सांसदों ने संसद भवन के बारे में अपनी यादें share कीं:पुरानी इमारत को bye कहते हुए एक नोट लिखी; 19 सितंबर से नई इमारत में काम शुरू होगा

संसद की नई इमारत में कामकाज शुरू

सोमवार से संसद का विशेष सत्र शुरू होगा। इस पांच दिवसीय सत्र का पहला दिन संसद की पुरानी इमारत में होगा। बाद में संसद एक नए भवन में स्थानांतरित होगा। रविवार को पहली बार संसद की नई इमारत पर तिरंगा फहराया गया। संसद भवन के गजद्वार पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम में विभिन्न पार्टियों से सांसद उपस्थित हुए।

संसद की पुरानी इमारत से जुड़ी दस महिला सांसदों ने इस अवसर पर अपनी यादें साझा कीं। पुरानी इमारत को अलविदा कहते हुए, भाजपा की स्मृति ईरानी, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, भाजपा की पूनम महाजन, एनसीपी की सुप्रिया सुले, कांग्रेस की रम्या हरिदास, निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और राज्यसभा सांसद पीटी ऊषा

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने रविवार को नई संसद के गजद्वार पर तिरंगा फहराया।

संसद की नई इमारत में कामकाज शुरू होने पर स्मृति ईरानी ने शुभकामनाएं दीं।

हरसिमरत कौर बादल ने लिखा कि 2006 में पहली बार संसद देखने से लेकर 2009 में पहली बार सांसद बनने तक और 2014 में पहली बार मंत्री बनने तक, इस इमारत के 144 पिलर्स से मेरी कई यादें जुड़ी हैं। बादल ने कहा कि यह सुंदर इमारत इतिहास और हजारों भारतीय कलाकारों, मूर्तिकारों और कर्मचारियों की कला से सजी है, जो मुझे बहुत कुछ सिखाती है।

यादें, सीख, नीति निर्माण और दोस्ती, प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा। इस स्थान का इतिहास और सुंदर वास्तुशिल्प ने बहुत बहस पैदा की है। इस क्षेत्र में राजनीतिज्ञ और इतिहासकार काम करते हैं। इस संसद ने एक मजबूत देश बनने की हमारी यात्रा शुरू की है। मुझे इस यात्रा का हिस्सा बनने का गर्व है और नई संसद में पुरानी संसद की आत्मा जीवित रहेगी।

अनुप्रिया पटेल ने लिखा, “जब मैंने पहली बार इस इमारत में कदम रखा तो मैं गहराई से महसूस किया कि मैं एक ऐतिहासिक इमारत में प्रवेश कर रहा हूँ, जिसने देश को आजादी मिलने, संविधान बनने और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत होते देखा।”

पूनम महाजन ने लिखा: नव दधीचि हड्डियां गलाएं, अंतिम जय का वज्र बनाओ। फिर दीया जलाएं।“

महुआ मोइत्रा ने लिखा कि इस इमारत, जैसे किसी के पहले घर की तरह, मेरे दिल में हमेशा एक अलग जगह रहेगी। सभी को इस हॉल ने गले लगाया। इससे हम इसमें अपने लिए छोटे कोने खोज सकें। यह इमारत एक स्वतंत्र देश के स्वतंत्र रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के लिए एक स्वतंत्र जगह थी. इसलिए, भले ही इमारत बदल जाए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह स्वतंत्रता का प्रतीक बनी रहे।

सुप्रिया सुले ने एक पत्र में लिखा, “महाराष्ट्र और बारामती की जनता के प्रति अपना आभार जताना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा बनने का मौका दिया और संसद की सुंदर इमारत का हिस्सा बनने का अवसर दिया।”

रम्या हरिदास ने कहा कि संसद की पुरानी इमारत लोकतंत्र और मजबूत फैसलों का घर है।

नवनीत राणा ने लिखा, “मैं आज भी पहली बार पुरानी संसद में कदम रखा था।” इस संसद ने मुझे बहुत कुछ सीखने का अवसर दिया। वास्तव में, यह लोकतंत्र का एक मंदिर है।

PT Usha ने लिखा: मैंने 1986 में पहली बार संसद का दौरा किया था। इसके बाद मैं दो या तीन बार और संसद आई। लेकिन 20 जुलाई 2022 को राज्यसभा सांसद के रूप में मैं पहली बार संसद में आया। मेरे लिए वह दिन बहुत अच्छा था।

नई संसद का ऑनलाइन दौरा..।

मैं सदस्य हूँ..। 95 वर्ष की उम्र हो चुकी है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज में सिलेबस कोऑर्डिनेटर धनंजय चोपड़ा ने संसद के लिए एक लेख लिखा है।

नई-नवेली संसद को अपना पूरा अधिकार देने का समय आ गया है। यह क्षण मेरे लिए कितना सुखद है, उतना ही भावुक भी है। आज मैं उस हर क्षण को याद करता हूँ, जब कानून निर्माताओं ने मेरी गोद में बैठकर देश को बदलने वाले निर्णय लिए। 1927 में मैं अंग्रेजों के जमाने में पैदा हुआ था। मुझे डिजाइन करने वाले हर्बर्ट बेकर और उद्घाटन करने वाले ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड इरविन ने भी नहीं सोचा था कि दो वर्ष बाद 8 अप्रैल 1929 को देश की आजादी के दीवाने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त बहरी अंग्रेज सरकार को अपनी आवाज सुनाने के लिए विस्फोट करेंगे।

यह मुझे आजादी की धमक सुनाई देती थी। वंदे मातरम की गूंज सुनने के लिए मुझे 18 साल इंतजार करना पड़ा। वह दिन अंततः 15 अगस्त 1947 को आया।

मैं आज भी आजाद भारत का पहला भाषण याद करता हूँ।
पं. जवाहरलाल नेहरू का पूरी दुनिया के दिलोदिमाग को संवेदनाओं से भर देने वाला ‘आजाद भारत’ का वो पहला भाषण मुझे आज भी शब्दश: याद है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणराज्य की घोषणा होने पर मैं खुश हो गया। वहीं, मेरे जेहन में दर्द और वेदना के वो क्षण भी जस के तस हैं, जब तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीवी मावलंकर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के निधन की घोषणा की। युद्धकाल में देश को आर्थिक संकट से बचाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने देशवासियों से भोजन छोड़ने की अपील की थी, जो मैं कभी नहीं भूल सकता।

लेकिन जब इंदिरा गांधी ने बुलंद आवाज में बांग्लादेश को आजाद कराने और सिक्किम को भारत में विलय करने का ऐलान किया, तो मैं गर्व से चौड़ा हो गया। 21 जुलाई 1975, जिस दिन उसी लोकसभा में आपातकाल की घोषणा की गई थी, मुझे अच्छी तरह याद है। मैं भी याद रखता हूँ जब अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को “परमाणु हथियार संपन्न देश” घोषित किया था।

मैं संसद को हर संस्कृति, परंपरा और आकांक्षाओं को बचाने वाली हूँ. मैं उन दिनों को कैसे भूल सकता हूँ जब वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री के रूप में संसद का विश्वास खोना पड़ा था।

2001 की उस अजीब रात को याद करके मैं आज भी सिहर जाता हूँ।
यह सच है कि इनमें से अकेले प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी, जो बाद में चुनाव जीतकर फिर मेरा साथ पाने में सफल रहे। 13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने मुझ पर हमला किया और मुझे बचाने के लिए मेरे गार्ड समेत 9 लोगों को मार डाला, आज भी मुझे सिहर जाता है। 21वीं सदी के उस दिन, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त कर दिया, वह भी मेरी यादों में तरोताजा रहेगा. इसके बारे में दोनों पक्षों ने बहुत बहस की थी।

जैसा कि सब जानते हैं, मैं 144 खम्भों की इमारत हूँ और आज लगभग 140 करोड़ लोगों की आवाज हूँ। मैंने अपनी लंबी यात्रा में देश-दुनिया में कई परिवर्तनों को देखा है और मैं आगे भी हर परिवर्तन के लिए तैयार हूँ। “अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्” वर्षों से अपने केंद्रीय सभाकक्ष के प्रवेश द्वार पर लिखा हुआ है। अपने देशवासियों के साथ-साथ पूरी दुनिया की बेहतरी की कामना करते हुए, मैं उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। (यानी यह मेरा है, यह पराया है, ऐसी धारणा छोटी बुद्धि वाले करते हैं, जबकि उदार चित्त वाले पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं)। जय भारत, जय भारत।

970 करोड़ रुपये की लागत से 29 महीने में बनाया गया नया संसद भवन 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन के ठीक सामने पहला पत्थर रखा। 29 महीने और 973 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित संसद बनकर तैयार हुई। फोटो-वीडियो के माध्यम से ऑनलाइन रूप से नई संसद का पूरा दौरा करने के लिए

Related Articles

Back to top button