चीन तिब्बती पठार में यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक बड़ा बांध बनाने जा रहा है. यह बांध सरहद के पास बनाया जाएगा, जिससे भारत को पानी छोड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन इससे पहले भारत ने इसके जवाब में अरुणाचल प्रदेश में दिबांग मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट के तहत अपने सबसे ऊंचे बांध का काम शुरू कर दिया है. भारत की सरकारी कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड इस प्रोजेक्ट को चला रही है और इसके लिए बड़ी रकम का इन्वेस्ट कर रही है. चलिए इसके बारे में तफसील से जानते हैं.
यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश में बनाई जा रही है और इसका मकसद चीन द्वारा अचानक पानी छोड़े जाने पर बाढ़ से बचाव करना है. सीएनएन-न्यूज़18 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की सरकारी कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड ने मुख्य बांध के निर्माण के लिए 17,069 करोड़ रुपये की बड़ी वैश्विक बोली लगाई है.
टेंडर के मुताबिक, 91 महीने की समय-सीमा के साथ दिबांग बांध 2032 तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है और यह भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए अहम है. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2880 मेगावाट की दिबांग मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. इसके बाद से ही अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू और भाजपा के नेताओं ने हाल ही में मिनली गांव में परियोजना का दौरा कर रहे हैं.
जबकि यह अर्जन्सी इसी जुलाई में आई उन रिपोर्टों के बीच आई है, जिनमें कहा गया था कि चीन ने तिब्बती क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाना शुरू कर दिया है. भारत ने तब चीन के सामने इन विशाल बांधों के प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की थी और चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि भारत के हितों को कोई नुकसान न पहुंचे



