भारतदिल्ली

शी जिनपिंग को अब नुकसान का डर सताने लगा, क्योंकि चीन G20 में भारत के इस चौके से निकलेगी चीन की हेकड़ी।

G20 में शामिल होने से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जो नुकसान हुआ

वह अब जानते हैं। G20 में चार ऐसे समझौते हुए, जो चीन को प्रभावित करेंगे। उस धौंस का प्रभाव दुनिया पर होगा। यह भी स्पष्ट है कि वह परेशान है।
चीन चिंतित है कि इन चार फैसलों से G20 में भारत के इस चौके से बाहर निकल जाएगा, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी, जो शी जिनपिंग को चिंतित कर रहा है। नुकसान की आशंका
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दिल्ली: भारत ने G20 शिखर सम्मलेन में अपनी ताकत दिखाई। भारत ने विश्व के प्रमुख नेताओं का उत्साहपूर्ण स्वागत किया। G20 की सफलता से चीन को मिर्जी लगी है। समिट में कुछ ऐसे निर्णय भी किए गए, जो अब चीन को परेशान कर रहे हैं। चीन अब इसे लेकर भड़क गया है। अब चीन, जो दुनिया को घेरता था, चिंतित है। भारत, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमीरात एक रेल और समुद्री कॉरिडोर बनाने जा रहे हैं जो चीन के वन बेल्ट वन रोड से कहीं बेहतर है। भारत ने जी20 में मध्य ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाया, जो चीन की वन बेल्ट रोड का जवाब था। सिर्फ यही नहीं, जी20 में चार ऐसे फैसले हुए, जो चीन के लिए फायदेमंद होंगे। चीन भी गुस्सा था। चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेंपरी इंटरनेशनल रिलेशन्स ने कहा कि भारत ने जी20 के वैश्विक मंच का लाभ उठाया।

चीन को गिरफ्तार करने वाले चार महत्वपूर्ण निर्णय

G-20 ने कुछ ऐसे निर्णय लिए हैं जो चीन को परेशान कर सकते हैं। भारत और दूसरे देशों के बीच हुए इस समझौते ने चीन की ताकत कम की है। ऐसे ही चार निर्णयों को जानते हैं। भारत से यूरोप तक पहुंचने का एक रूट बनाया, जो चीन के बीआरआई रूट का उत्तर है। पश्चिमी एशिया से यूरोप की ओर एक ट्रेड कॉरिडोर बनाने की योजना पर समझौता हुआ है। भारत ने चीन की बीआरआई को हराया है। इसलिए रेल, पोर्ट, परिवहन, हवाई मार्ग, डेटा केबल और अन्य प्रौद्योगिकी से तीनों क्षेत्रों को जोड़ने का निर्णय लिया गया है। इससे चीन का दबदबा प्रभावित होगा। वहीं भारत का व्यापार तेज होगा।

G20 में भारत-अमेरिका मित्रता

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री ली चियांग को जी20 समिट में भेज दिया, लेकिन उसका ये निर्णय अब उस पर ही भारी पड़ रहा है। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकी चीन को बर्बाद नहीं करेगी। जी-20 के सफल आयोजन और उसके बाद जारी घोषणापत्र ने भारत को अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों से और करीब ला दिया है। चीन का बीपी अमेरिका से भारत की बढ़ी करीबी से जरूर बढ़ेगा। वहीं, रूस के साथ पारंपरिक रक्षा, फर्टिलाइजर और तेल सौदे ने चीन को परेशान कर दिया है।

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