CM Vishnu Deo Sai आज भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ ने सीएम से कई मांग रखी है।
CM Vishnu Deo Sai: ‘भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से उनके निवास कार्यालय में मुलाकात की। इस दौरान, उन्होंने सीएम साय को अपनी मांगों का पत्र भेजा। साथ ही मांगों पर विचार करने को कहा। मुख्यमंत्री को इस अवसर पर पेंशनर्स महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) को हटाने और 4% महँगाई राहत देने की मांग की। सहमति की आवश्यकता को दूर करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस पर जल्द ही फैसला लेने का भरोसा दिलाया है।
सीएम विष्णुदेव ने मामले पर अधिकारियों से चर्चा करने और पेंशनर्स महासंघ के अधिकारियों के साथ एक बैठक करने की घोषणा की है। इस दौरान, पेंशनरों ने मुख्यमंत्री को बताया कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत पेंशनरी दायित्वों का बंटवारा नहीं होने से हर आर्थिक भुगतान के लिए मध्यप्रदेश शासन से सहमति लेना अनिवार्य है, जो छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से पेंशनरों की सबसे बड़ी समस्या है।
केंद्र में सम्प्रति पेंशनरों की महंगाई राहत की किस्त 50 प्रतिशत हो गई है। प्रदेश में पेंशनरों को सिर्फ 46℅ मिलते हैं। संघ ने सीएम साय को बताया कि राज्य के बजट से ही भारतीय प्रशासनिक सेवा और बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को 50% महंगाई भत्ता का भुगतान किया जा रहा है। एक ही राज्य में दोहरी नीति राज्य के पेंशनरों के साथ घोर अन्याय है।
महंगाई ने छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग सवा लाख से अधिक पेंशनर और उनके परिवारों को पीड़ित कर दिया है। दोनों राज्य सरकारों के बीच सहमति टूट रही है। मध्य प्रदेश राज्य पुर्नगठन अधिनियम 2000 के धारा 49(6) के अनुपालन में, राज्य विभाजन के बाद से पेंशनरों को महंगाई राहत की किस्त देने के लिए छत्तीसगढ़ शासन को वित्त विभाग को आदेश जारी करने के लिए दोनों राज्यों के बीच आपसी सहमति होनी चाहिए. इस सहमति के अनुसार, पेंशनरों के लिए समान दर और समान तिथि से आदेश जारी किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार को मध्यप्रदेश शासन से समझौता करने के लिए तुरंत पत्राचार करना चाहिए। छत्तीसगढ़ शासन को पेंशनरी दायित्वों का वितरण नहीं होने से भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसे संज्ञान में लेकर जरूरी कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया।