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Digital Attendance: योगी सरकार के इस फैसले पर भी भाजपा सांसद ने चिट्ठी लिखकर पुनर्विचार की मांग की।

Digital Attendance: ऑनलाइन कक्षाओं के खिलाफ शिक्षकों के विरोध को देखते हुए भाजपा सांसद छत्रपाल गंगवार ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

Digital Attendance in UP School: उत्तर प्रदेश के स्कूलों में डिजिटल हाजिरी के मामले पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है, शिक्षकों में इसका विरोध देखने को मिल रहा है, जबकि दूसरी तरफ विपक्षी दल भी प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। इस बीच, बरेली से बीजेपी सांसद छत्रपाल गंगवार ने भी इस मुद्दे को उठाया है। उनका पत्र इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करता है।

बीजेपी सांसद छत्रपाल गंगवार ने शिक्षा विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा है, क्योंकि पूरे प्रदेश में शिक्षकों ने ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में प्रदर्शन किया है। उनका पत्र इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करता है। बीजेपी सांसदों ने अपनी ही सरकार के निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है, जिससे वे अब चर्चा में हैं। साथ ही, उनका लेख सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

BJP सांसद ने भी योगी सरकार के इस फैसले पर उठाए सवाल, चिट्ठी लिखकर की पुनर्विचार की मांग

बीजेपी सांसद ने लिखी चिट्ठी

बीजेपी सांसद ने एक पत्र में लिखा है कि यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष और ज़िलाध्यक्ष नरेश गढ़वाल को आपके द्वारा परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी को लेकर आदेश दिया गया है। इस संबंध में, उन्होंने मौसम या वाहन के कारण स्कूल में देरी, कैशलेस चिकित्सा सुविधा, गैर शैक्षणिक कार्यों से छुट्टी और राज्य कर्मचारी का दर्जा देने सहित अपनी समस्याएं और मांगें बताईं।

उन्होंने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों की गरिमा व विश्सनीयता को ध्यान में रखते हुए आदेश पर पुनर्विचार किया जाए.

8 जुलाई से उत्तर प्रदेश में सभी परिषदीय स्कूलों में डिजिटल पाठ्यक्रम लागू करने के आदेश दिए गए हैं, जिसका शिक्षक विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में सोमवार को प्रदेश के सभी जनपदों में शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें डिजिटल पाठ्यक्रम से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पहले उनकी परेशानियों को हल करना चाहिए। यही नहीं, शिक्षक संघ ने कहा कि वे 23 जुलाई को बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी।

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