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21st animal census: उत्तर प्रदेश में सितंबर से शुरू होगी 21 वीं पशुगणना, अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग शुरू

21st animal census: 2019 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख महिषवंश, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी है


पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों को सॉफ्टवेयर और नस्लों के बारे में अवगत कराने के लिए 21वीं पशुधन-गणना का क्षेत्रीय प्रशिक्षण आयोजित किया

प्रशिक्षण के दौरान नस्ल की सटीक पहचान के महत्व पर बल दिया गया

आज दिनांक 16 जुलाई को प० दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान (SIRD) बक्शी का तालाब, लखनऊ में 21 वीं पशुगणना की तैयारी अंतर्गत देश के तीन राज्यों यथा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश एवं उत्तराखंड के राज्य / जनपदीय नोडल ऑफिसर्स को संयुक्त रूप से प्रशिक्षण प्रदान कर मास्टर्स ट्रेनर तैयार किया जाने हेतु इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के कुल 175 पशुचिकित्साविदों, संख्याधिकारियों, नोडल अधिकारियों द्वारा भारत सरकार, मत्स्य, पशुपालन मंत्रालय के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया। उक्त कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री, मा० धर्मपाल सिंह जी द्वारा किया गया।

 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पशुगणना के उपरान्त प्राप्त आकडों के विश्लेषण एवं तार्किक उपयोग से भविष्य की योजनाओं विभागीय नीतियों को बनाने एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में एवं पशुपालकों के हित में नई योजनाओ तथा पशुपालन के क्षेत्र में रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पूरे देश का सर्वाधिक पशुधन है। 2019 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख महिषवंश, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी एवं 4.09 लाख सूकर है। देश मे प्रत्येक 5 वर्ष के उपरान्त पशुगणना किये जाने है। वर्तमान में 21वीं पशुगणना की तैयारी चल रही है।

21st animal census: उत्तर प्रदेश में सितंबर से शुरू होगी 21 वीं पशुगणना, अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग शुरू

उक्त अवसर पर श्री रविन्द्र, प्रमुख सचिव, पशुधन, उ०प्र० शासन, श्री देवेन्द्र पाण्डेय, विशेष सचिव, उ०प्र० शासन, श्री जगत हजारिका, सलाहकार (साख्यकीय) भारत सरकार, श्री वी०पी० सिंह, निदेशक, पशुपालन साख्यकीय, भारत सरकार, डा० आर०एन० सिंह, निदेशक प्रशासन एवं विकास तथा डा० पी०एन० सिंह, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र, उ०प्र० एवं तीन प्रदेशों के प्रतिभागी उपस्थित थे। निदेशक प्रशासन एवं विकास, पशुपालन विभाग द्वारा अपने स्वागत भाषण में समस्त उपस्थित गणमान्यों का स्वगत करते हुए प्रतिभागियों का भी स्वागत किया गया। उनके द्वारा प्रतिभागियों से इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम को अति संवेदनशील मानते हुए सही रूप में जानकारी प्राप्त कर पशुधन की गणना का आह्वान किया गया ताकि सही आंकड़ों पर भविष्य की योजनाओं के सृजन में सहयोग मिल सके। भारत सरकार से आये अधिकारियों द्वारा पशुगणना प्रत्येक पाँच वर्षों के अन्तराल पर की जाती है। पशुगणना में प्रत्येक घर, उद्यम एवं संस्थानों में पशुओं की प्रजाति वार गणना की जाती है। देश में प्रथमवार पशुगणना वर्ष 1919 में की गयी। इस कड़ी में अब तक कुल 20 पशुगणनायें आयोजित की जा चुकी है। 20वीं पशुगणना वर्ष 2019 में आयोजित की गयी। उक्त पशुगणना में प्रथमबार टैबलेट के माध्यम से ऑनलाइन की गयी जिसमें गणनकर्ताओं द्वारा भारत सरकार द्वारा विकसित किये गये ऐप पर पशुओं की गणना की गयी, आंकड़े सीधे भारत सरकार के सर्वर पर अपलोड हुए थे। प्रमुख सचिव, पशुधन द्वारा अवगत कराया गया कि 20वीं पशुगणना की भांति इस बार भी पशुगणना NDLM (National Digital Livestock Mission) द्वरा विकसित एंड्राइड एप पर कराई जानी है, जिसके अंतर्गत NBAGR (National Bureau of Animal Genetic Resources) द्वारा पंजीकृत Breed के अनुसार नस्लवार पशुगणना की जाएगी।

21st animal census: उत्तर प्रदेश में सितंबर से शुरू होगी 21 वीं पशुगणना, अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग शुरू

भारत सरकार द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सम्पूर्ण देश में एक साथ माह सितम्बर से दिसंबर 2024 के मध्य पशुगणना का कार्य किया जाना है। 21वीं पशुगणनासे प्राप्त होने वाले विस्तृत एवं विश्वास परक आंकड़े की नीव पर नीति निर्धारण से आने वाले समय में पशुपालन विभाग प्रगति के नए आयाम को प्राप्त करेगा। 21 वी पशुगणना हेतु भारत सरकार द्वारा पाँच राज्यों कर्नाटक, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात व अरूणाचल प्रदेश को पायलट सर्वे हेतु चयनित किया गया है। मुख्य अतिथि द्वारा अपने संबोधन में पशुपालन को अजिविका का मुख्य स्त्रोत मानते हुए गुणवत्तायुक्त पशुधन उत्पादों की चर्चा के साथ वास्तविक पशुधन के आंकड़ों पर बल दिया गया। पशुधन विकास के चार प्रमुख आयाम उन्नत पशु प्रजनन, पशु स्वास्थ्य, पशु प्रबन्धन एवं पशु पोषण के क्षेत्र में समग्र प्रयास पशुधन के चहुँमुखी विकास का प्रमुख आधार सही गणना पर ही आधारित है अतः प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपयोगिता तथा सारथकता पर प्रकाश डाला। उक्त के साथ ही साथ गोवंश के समग्र विकास एवं दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु नवीन तकनीकी के समावेश पर बल दिया गय एवं सफल प्रशिक्षण हेतु आर्शिवचन से सिंचित किया गया। निदेशक, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र द्वारा समस्त गणमान्य व्यक्तियों, विभिन्न प्रदेशों से आये प्रतिभागियों के साथ-साथ इस कार्यक्रम में सहयोग प्रदान करने हेतु प० दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान के अधिकारियों/कर्मचारियों, पशुपालन विभाग, उ०प्र० के अधिकारियों/कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन विभाग, उ०प्र० के विभिन्न अधिकारियों डा० अरविन्द कुमार सिंह अपर निदेशक, गोधन, डा० जयकेश पाण्डेय, अपर निदेशक, नियोजन, डा० ए०के० वर्मा, अपर निदेशक, लघु पशु, डा० एम०आई० खान, संयुक्त निदेशक, सांख्यकीय, डा० संजीव शर्मा उप निदेशक, सांख्यकीय, डा० नीलम बाला, उप निदेशक / रजिस्ट्रार त्था निदेशालय पशुपालन विभाग, उ०प्र० लखनऊ के विभिन्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

source: https://pib.gov.in/

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