राज्यदिल्ली

CM Atishi: AAP की ‘रामकथा’ जारी है कि जब केजरीवाल रामलीला मैदान से कुर्सी तक पहुंचे, उन्हें ही ‘राम’ मान आतिशी ने कुर्सी खाली कर दी।

CM Atishi

CM Atishi ने अपने कार्यालय में एक खाली स्थान रखा है। वे कहते हैं कि ये कुर्सी भगवान राम की खड़ाऊं की तरह है। रामायण की कहानी में भरत ने खड़ाऊ रखकर चौदह वर्ष तक राज्य किया था जब राम वनवास चले गए। इस लोकतंत्र में आतिशी एक खाली कुर्सी रख कर क्या संदेश देना चाहता है? ये तो वही है, लेकिन उनकी पूरी पार्टी रामायण के संवादों  में बात कर रही है , यह रोचक है। बात-बात पर पार्टी नेता सिर्फ राम राम कहते हैं। रामलीला की तैयारियां चल रही हैं और दशहरा नजदीक है। दशहरे के बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव होंगे। लोग इस “रामकथा” पर सवाल उठाते हैं।

अगर कुर्सी खाली ही रखनी थी तो केजरीवाल ही मुख्यमंत्री बने रहते!

अगर खड़ाऊं रख कर शासन चलाना ही था, तो जैसी आप सरकार चल रही थी चलाई ही जा सकती थी CM Atishi ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद दिल्ली को एक पूर्णकालिक मुख्यमंत्री मिला है। यही कारण है कि उसे अपनी पार्टी के नियमों के अनुसार सरकार चलाने का पूरा अधिकार है। अरविंद केजरीवाल खुद पार्टी की नीतियों में शामिल हो जाते हैं। पार्टी अध्यक्ष होने के नाते, मुख्यमंत्री को सरकार चलाना होगा। बीजेपी या कांग्रेस की नीतियों से आप की दिल्ली सरकार नहीं चल सकती। यही कारण है कि खाली कुर्सी का कोई औचित्य नहीं दिखता।

रामराज्य की बात

CM बनने के अपने दूसरे दिन मंगलवार को, आतिशी भी हनुमान मंदिर गईं। वहाँ से वापस आते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें हनुमान जी का आशिर्वाद मिला है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल और पार्टी के लिए शुक्रिया कहा गया। यह स्मरणीय है कि आतिशी ने दिल्ली का बजट प्रस्तुत करते समय बार-बार रामराज्य की बात भी की थी। सरकारों के मंत्री अक्सर राम और अन्य महात्माओं का उल्लेख करते रहे हैं, लेकिन यहां सिर्फ रामलीला की चर्चा होती है। दिल्लीवासियों के लिए अभी देखने वाली बात है कि इससे पार्टी को फायदा होगा। दशहरा भी आ रहा है। दिल्ली में दशहरे पर बड़ी रामलीला होती है। लेकिन इस रामलीला से पहले पार्टी इतनी जोर-शोर से रामायण कह रही है क्यों? रामलीला मैदान ने आम आदमी पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। क्या जनआंदोलन की पार्टी, जो रामलीला ग्राउंड से उठी है, आगे भी रामकथा का ही सहारा लेना चाहती है? अगर समय मिलता है तो इस साल के अंत से अगले साल जनवरी या फरवरी में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होंगे। दिल्ली में बीजेपी से मुकाबला करना है। राम भी बीजेपी का एक बड़ा मुद्दा रहे हैं।

दिल्ली एक समय भारतीय जनता पार्टी का गढ़ था। यहां बीजेपी को बहुत से लोगों का समर्थन मिलता रहा है। बीजेपी अपने जनाधार को पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। इसलिए बीजेपी आम आदमी पार्टी से मुकाबला कर सकती है। क्या पार्टी रामकथा का उपयोग करके बीजेपी से होने वाली राजनीतिक लड़ाई का पूर्वाभ्यास कर रही है और मतदाताओं को संदेश दे रही है? “सरकार इस तरह के काम करती है जब वह सामाजिक सरोकारों को सुलझाने में अक्षम हो जाती है,” वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्यागी ने कहा। तब वह कहानियों से लोगों को भटकाने लगती है।”

राजनीतिक विश्लेषक संदीप कौशिक ने कहा कि खाली कुर्सी रखवाने या फिर “राम कथा” जैसे शब्दों का उपयोग करना सही है। यह उनके दृष्टिकोण से किसी भी तरह गलत नहीं है। कौशिक कहते हैं, “आप के बारे में ये एक सचाई है कि अरविंद केजरीवाल के बिना इस पार्टी की कल्पना नहीं की जा सकती। आतिशी ने खाली कुर्सी छोड़कर अपने समर्थकों को बताने की कोशिश की है कि केजरीवाल सरकार केवल केजरीवाल की नीतियों पर चलेगी। ये लोग राम का नाम या रामकथा के प्रसंगों को सही मानते हैं। इसलिए पार्टी चल रही है। वास्तव में, उसे लड़ना भी तो बीजेपी से ही है, जो हर जगह राम का नाम लेती है, उसे लड़ रही है। “

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