72 साल में क्यों बदलती है मकर संक्रांति की तारीख? क्या है इसके पीछे वजह?
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण पर्व है जो सूर्य की पूजा करता है। 14 जनवरी 2025 को पर्व मनाया जाएगा। लेकिन मकर संक्रांति की तिथि हर 72 वर्ष में बदल जाती है।
मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति अक्सर 14 या 15 जनवरी को होती है। मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति है। इस पर्व में स्नान, दान और सूर्य पूजा बहुत महत्वपूर्ण हैं। पिछले कई वर्षों से, हम मकर संक्रांति को 14 या 15 जनवरी को ही मना रहे हैं।
मकर संक्रांति की तारीख में बदलाव होते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से सूर्य की चाल पर निर्भर करता है। लेकिन आने वाले समय में मकर संक्रांति 14 या 15 नहीं बल्कि 16 जनवरी को मनाई जाएगी। आइये जानते हैं इसके कारण।
1902 से लेकर आज तक, मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है। 18 वीं सदी में मकर संक्रांति 12 या 13 जनवरी को मनाई गई। राजा हर्षवर्धन के समय मकर संक्रांति का पर्व 24 दिसंबर को पड़ा था। मुगल शासक अकबर के शासनकाल में 10 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई। वहीं शिवाजी के जीवनकाल में 11 जनवरी यह त्योहार था। 2077 तक, हम मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को ही मनाएंगे।
क्या मकर संक्रांति की तिथि में परिवर्तन का कारण है?
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य का मकर राशि में गोचर हर वर्ष लगभग 20 मिनट देरी से होता है। इस प्रकार, हर तीन वर्ष में सूर्य लगभग एक घंटे की देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है। 72 साल बाद, सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने में एक दिन देरी होती है। यही कारण है कि मकर संक्रांति की तिथि हर 72 वर्ष में एक दिन आगे बढ़ती है।
1 जनवरी को हजार साल पहले मकर संक्रांति मनाई गई थी।
ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार, सूर्य की गति हर साल लगभग 20 सेकंड बढ़ती है। यदि हम ऐसा करें तो हजार साल पहले मकर संक्रांति 1 जनवरी को मनाई गई थी। इससे लगता है कि अगले 5000 साल में मकर संक्रांति फरवरी के आखिर में मनाई जाएगी। 2077 तक, हम मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को मनाएंगे।
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