
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि योजना के लाभार्थी 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे। गंभीर बीमारियों के मामले में 10 लाख रुपये मिलेंगे।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए एक स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की। यह भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इस सुविधा का लाभ देने के लिए बनाया गया है। CM Sooreen ने रांची में विभिन्न कार्यक्रमों में 28,945 सरकारी प्राथमिक स्कूल शिक्षकों को भी “टैबलेट” दिए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टैबलेट वितरण कार्यक्रम में कहा कि राज्य के सरकारी स्कूलों में डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिए कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
सरकारी कर्मचारियों को इलाज की चिंता नहीं करनी चाहिए
राज्य विधानसभा सभागार में स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘अब किसी भी श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों को अपने इलाज के खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनके इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी।‘’
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से कर्मचारियों के इलाज का पूरा खर्च वहन करने का बड़ा कदम उठाया गया है, जिस तरह सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर अपने कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद भी वित्तीय सहायता दी।
स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम आज से लागू
उनका दावा था कि इस योजना से लाभार्थी देश के किसी भी अस्पताल में 5 लाख रुपये तक का ‘कैशलेस’ इलाज करा सकेंगे। साथ ही, आधिकारिक बयान में कहा गया है कि गंभीर बीमारियों के मामले में 10 लाख रुपये तक का चिकित्सा खर्च मिलेगा। 1 मार्च से यह कार्यक्रम लागू होगा।
उन्होंने कहा, “आज प्राथमिक विद्यालयों को टैबलेट उपलब्ध कराकर एक नया अध्याय शुरू किया गया”। इससे स्कूलों में उपस्थिति दर्ज करने जैसे काम डिजिटल रूप से होंगे। वहीं, बच्चों की पढ़ाई, शिक्षक प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण और बायोमेट्रिक उपस्थिति की रिपोर्टिंग टैबलेट से आसानी से होगी। इस कदम से शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में काफी सहयोग मिलेगा।‘’
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