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Falgun Purnima 2025: 13 या 14 मार्च कब है फाल्गुन पूर्णिमा व्रत? सही तिथि, समय नोट करें

Falgun Purnima 2025: पूर्णिमा तिथि मां दुर्गा को बहुत प्यारी है। फाल्गुन पूर्णिमा पर होली दहन किया जाता है। यदि आपको फाल्गुन पूर्णिमा की सही तारीख और मुहूर्त का पता नहीं है तो यहां जानें।

Falgun Purnima 2025: पूर्णिमा मां लक्ष्मी की पूजा का दिन है। पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने से धन लाभ होता है। शुक्र, बृहस्पति और चंद्र दोष से पीड़ित लोगों को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करना चाहिए, इसके अलावा अन्य कई उपाय करना चाहिए। माना जाता है कि यह सौभाग्य को बढ़ाता है और सुख, समृद्धि और धन लाता है। फाल्गुन पूर्णिमा 2025 में कब होगा? पूजा की सही तिथि, मुहूर्त और महत्व जानें।

फाल्गुन पूर्णिमा कब होगी? 13 या 14 मार्च 2025?

  • 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन पूर्णिमा शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।
  • हिंदू धर्म में पूर्णिमा हमेशा उदयातिथि से संबंधित होती है, इसलिए 14 मार्च 2025 को फाल्गुन पूर्णिमा होने पर स्नान करना शुभ होगा। यह भी शुक्रवार है, मां लक्ष्मी का दिन।
  • 13 मार्च 2025 को फाल्गुन पूर्णिमा भी होगी। इस दिन होलिका दहन भी होगा। इस दिन चंद्रमा की पूजा है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2025 का मुहूर्त

  • चर (सामान्य) – सुबह 6.32 से 8.02 तक
  • लाभ (उन्नति) – सुबह 8.02 से 9.31 बजे
  • अमृत (सबसे उत्तम) – सुबह 9.31 बजे सुबह 11 बजे
  • सूर्योदय शाम 6.38 बजे
  • ब्रह्म मुहूर्त – एक कालखंड सुबह 4.55 बजे सुबह 5.44 बजे

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करने से धन, सुख और सौभाग्य में सुधार होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन महीने में चंद्रमा का जन्म हुआ था, इसलिए फाल्गुन की पूर्मिमा पर चंद्रमा की पूजा करना बहुत शुभ होता है।

अपनी किरणों से चंद्रमा अधिक से अधिक प्रकृति को बदलने लगता है। लक्ष्मी जयंती भी इसका नाम है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन-समृद्धि की इच्छा पूरी होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा पर लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें?

  • फाल्गुन पूर्णिमा व्रत वाले दिन घर में चांदी या पीतल की लक्ष्मी या विष्णु की मूर्ति हो तो शुभ फल मिलेंगे. आप भी शालीग्राम की पूजा कर सकते हैं।
  • विष्णु की पूजा करते समय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र बोलें, और देवी की पूजा करते समय ऊँ महालक्ष्मयै नमः मंत्र बोलें।
  • देवी को शुद्ध जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक करें। फिर चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, इत्र, गुलाब, कमल और मौली के फूलों को चढ़ाएं।
  • इसके बाद खीर का नैवेद्य, पीली मिठाई और आरती करके प्रसाद बाटें।

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