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मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह: शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर में जनता क्लीनिक से कहीं बेहतर सुविधाएं हैं

विधानसभा में मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 357 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं।

विधानसभा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 357 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं। सरकार इनका पूरा खर्च उठाती है। इनमें वैक्सीनेशन, दवा, ओपीडी, पारिवारिक सुरक्षा और चिकित्सा जांच शामिल हैं।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह पूरे प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सभी प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उनका कहना था कि जनता क्लीनिक 2019–20 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की नकल की गई थी। भी उनकी संख्या सिर्फ 15 थी। 2021-22 में उन्हें शहरी स्वास्थ्य कल्याण केन्द्र नाम दिया गया।

मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह ने कहा कि राजस्थान में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोला। केंद्रीय सरकार ने 2020–2021 में 142 आरोग्य मंदिरों की स्वीकृति दी, 2022–2023 में 47, 2023–2024 में 143 और 2024–2025 में 180 शहरी आरोग्य मंदिरों की स्वीकृति दी। उनका कहना था कि जनता क्लीनिक स्थाई संरचना नहीं रखते थे और पूरी तरह से दानदाताओं और सीएसआर फंडिंग पर निर्भर थे। डॉक्टरों, तकनीकी कर्मचारियों, लैब टेक्नीशियन, सफाई कर्मचारियों, उपकरणों, मरम्मत, मेंटेनेंस, वैक्सीनेशन, दवाइयों, ओपीडी, परिवार की सुरक्षा, जांचों और अन्य सेवाओं के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रदेश में संचालित शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को प्रतिवर्ष 70 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने पहले विधायक श्री कान्ति प्रसाद के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पूर्व में जनता क्लिनिक) का प्रशासनिक रिपोर्टिंग और निगरानी निकटतम शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से होती है। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने पर, शहरी प्रशासनिक रिपोर्टिंग और पर्यवेक्षण नियंत्रण निकटतम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या उप जिला अस्पताल के अधीन होता है। श्री सिंह ने बताया कि इन्द्राज, एक फार्मासिस्ट, शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पूर्व में जनता क्लिनिक) पर प्रतिदिन की ओपीडी पर्चियां बनाता है।

विधानसभा क्षेत्र के थानागाजी शहरी चिकित्सालय को शहरी स्वास्थ्य कल्याण केंद्र (जनता क्लिनिक) में बदलकर शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाया गया था। उनका कहना था कि उक्त संस्थान में स्थायी कर्मचारियों के पदों को समाप्त नहीं किया जाएगा।

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