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Holi 2025: होली पर गुलरी चढ़ाने की परंपरा और ज्योतिषीय अर्थ जाने

Holi 2025: होली पर गोबर की गुलरी जलाने की परंपरा धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारणों से महत्वपूर्ण है। यह परंपरा बुरी नज़र, बुरी शक्तियों और समस्याओं के निवारण का प्रतीक है।

Holi 2025: भारत की संस्कृति में परंपरा और विविधता की अनूठी मिसाल है। हमारी संस्कृति में हर त्योहार को खास श्रद्धा और निष्ठा से मनाने की परंपरा है। होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार, इसी तरह की एक परंपरा का प्रतीक है। होली का पर्व बुराई के अंत और अच्छाई की विजय का प्रतीक है, और इस दिन होलिका दहन की रस्म होती है, जो बुराई को नष्ट करता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है।

गोबर की गुलरी और उसकी संस्कृति

होली के दौरान उपले की माला या गोबर से बनी गुलरी जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। गाय के गोबर से बनाए गए ये गुलरियां होलिका दहन के दिन जलाकर पूजा जाती हैं। महिलाएं एक रस्सी में इस माला को पिरोकर होली पर चढ़ाकर पूजा करती हैं। अब सवाल उठता है कि गोबर की गुलरी क्यों बनाई जाती है और गाय के गोबर का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करना

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि गोबर के उपले सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रतीक हैं। जब वे जलते हैं, तो उनसे निकलने वाला धुआं नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को बाहर निकालता है। यही कारण है कि गाय का गोबर धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे यज्ञ और हवन में भी उपयोग किया जाता है। इस धुएं से घर में सुख-समृद्धि आती है और वातावरण शुद्ध होता है।

घरेलू परेशानियों का समाधान

गोलरी जलाने की परंपरा में यह भी विश्वास है कि इसे जलाने से घर की हर समस्या दूर होती है। गोबर से छोटे उपले बनाए जाते हैं और इससे माला बनाई जाती है। होलिका दहन में ये उपले जलते हैं, घर की सभी बाधाओं को दूर करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करते हैं। घर के सभी लोग मानसिक और शारीरिक रूप से खुश होते हैं।

गाय के गोबर का उपयोग क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में गाय देवी-देवताओं का घर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गाय में 33 करोड़ देवताओं का घर है। इसलिए गाय का गोबर विशेष रूप से शुभ माना जाता है। गाय के गोबर से बने उपले को जलाने से घर का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

इसमें विज्ञान भी शामिल है।

यदि हम वैज्ञानिक रूप से देखते हैं, तो गाय के गोबर से निकलने वाले तत्व वातावरण को साफ करने में मदद करते हैं। गाय के गोबर में एंटी-बैक्टीरियल गुण हैं, जो हवा में मौजूद घातक बैक्टीरिया और विषैले पदार्थों को दूर करते हैं। इसके धुएं वातावरण को शुद्ध करते हैं, जो शरीर और मन के लिए अच्छा है।

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