दिल्ली

5 साल पहले परोल पर आया और फिर भाग गया, दिल्ली पुलिस ने मोस्ट वॉन्टेड विजय पहलवान को इस तरह गिरफ्तार किया

दिल्ली पुलिस ने मोस्ट वॉन्टेड विजय पहलवान को इस तरह गिरफ्तार किया

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 52 वर्षीय मोस्ट वॉन्टेड विजय सिंह उर्फ पहलवान को मार डालने की सजा भुगतते हुए परोल लेकर भाग गया। ये विक्रम सिंह नाम से जबलपुर, मध्य प्रदेश में संपत्ति का कारोबार करता था। इस बदमाश की गिरफ्तारी पर २ लाख रुपये का इनाम रखा गया था, जो हत्या से लेकर जबरन वसूली के २४ केसों में शामिल था। ये पांच साल से लापता था और अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। Diversity University से ग्रैजुएट विजय पहलवान वेटलिफ्टिंग में राष्ट्रीय चैंपियन रह चुका है।

परोल पर पहुंचा और फिर हो गया रवींद्र यादव, फरार स्पेशल सीपी (क्राइम) ने बताया कि वह 5 अप्रैल 2018 को अपने भतीजे की 13वीं शादी में शामिल होने के लिए दो दिन की परोल पर गया था। इसके बाद से वह भाग गया। 7 जुलाई 2018 को दिल्ली पुलिस ने इसकी गिरफ्तारी पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित किया। इंस्पेक्टर शिवराज सिंह बिष्ट, एसआई आशा, एएसआई वीरेंद्र, एचसी नेमी चंद, नरेंद्र, विकास और सिपाही प्रवीण की टीम, डीसीपी अमित गोयल और एसीपी रमेश लांबा की देखरेख में मध्य प्रदेश के जबलपुर में पहुंची।

Delhi's Most Wanted,ये हैं दिल्ली के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी, 5 नए नामों ने बढ़ाया सिरदर्द - delhi police want these 10 men so badly - Navbharat Times

पुलिस ने इसे पकड़ लिया था। पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि अप्रैल में दो दिन की परोल जंप करने के बाद उसने अपना नाम विक्रम सिंह रख लिया था। कोल्हापुर, महाराष्ट्र में अपने गुरु दादू चोकले के अखाड़े में रहने लगा। यहां इसे एक महिला मिली, जिसके साथ दो साल बाद इसने संपत्ति का काम छत्तीसगढ़ के रायपुर में शुरू किया। उसने अपने एक दोस्त के कहने पर दो साल बाद जबलपुर चला गया। ये जमीन, विला और खेत खरीद-फरोख्त करता था। इससे बहुत सारी संपत्ति मिली।

जबलपुर में स्वयं का फॉर्महाउस जबलपुर में एक स्वयं का फॉर्महाउस है, जहां १४ कर्मचारी काम करते हैं। ये चार हथियारबंद सुरक्षाकर्मी भी साथ था। 1988 में इस पर पहला केस दर्ज हुआ, जो 2019 तक 24 तक चला गया। ये दिल्ली के वसंत कुंज नॉर्थ थाना क्षेत्र में किशनगढ़ में रहता है। मोती लाल नेहरू विश्वविद्यालय से ग्रैजुएट है। गुजरात और मुंबई में भी इस पर केस हैं। उसकी दो बेटे केसों की पैरवी करते हैं। पुलिस फरारी के दौरान इसके सहयोगियों को खोज रही है।

 

26 मई 2011 को मर्डर रघुवीर सिंह (62) किशनगढ़ में अपने प्लॉट पर गए थे, लेकिन घर नहीं लौटे। पुलिस को बताया गया कि विजय सिंह, जिसे विजय पहलवान भी कहते हैं, पिता को कार में बिठाकर ले गया था। करीब पंद्रह दिन पहले धमकी दी गई थी। 1 जुलाई को गुड़गांव में रघुवीर का शरीर मिला। विजेता पहलवान गिरफ्तार किया गया। विजय ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वे प्लॉट से रघुवीर को उठा कर ले गए थे। रास्ते में प्लॉट देने को कहा, लेकिन वे नहीं करते थे। इसलिए वह रास्ते में गोली मारकर मर गया और शव को गांव में फेंक दिया। 2011 से वे इस केस में न्यायिक हिरासत में थे, लेकिन 12 जुलाई 2018 को उन्हें सजा सुनाई गई।

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