MP Cabinet: मामा या एज फैक्टर से निकटता! ये पांच दिग्गज शिव ‘राज’ में मंत्री रहे हैं, लेकिन मोदी-शाह की नीति में फिट नहीं बैठे, जानें क्यों

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सुशासन दिवस पर मुख्यमंत्री मोहन यादव का मंत्रिमंडल भोपाल के राजभवन में विस्तार किया गया। इसमें 28 विधायक मंत्री बन गए। किंतु इन 28 विधायकों में शिवराज सरकार के प्रमुख नेता नहीं हैं। इनमें भूपेंद्र सिंह, प्रभु राम, ओम प्रकाश और उषा ठाकुर शामिल हैं जिन्होंने मंत्री पद नहीं प्राप्त किया है।

वास्तव में, राज्य में नई सरकार बनने के साथ ही मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें 28 विधायकों ने शपथ ली। जिनमें से 18 विधायकों को कैबिनेट मिनिस्टर, 6 को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 4 को राज्यमंत्री बनाया गया है। शिवराज खेमे के मंत्रियों को इनमें स्थान नहीं मिला है। जानिए उनके कारण।

प्रधानमंत्री गोपाल भार्गव

पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नौ बार विधायक गोपाल भार्गव की चर्चा करें। 70 वर्ष से अधिक उम्र के विधायक को मंत्री पद नहीं मिला है। सिंधिया खेमे से गोविंद सिंह राजपूत को उनकी जगह मिली। बीजेपी ने जातिगत विभाजन के चलते राजपूत को मौका दिया है। इसी के दौरान भार्गव को अवसर नहीं मिला है।

बात करें भूपेंद्र सिंह की, वे शिवराज सिंह चौहान के करीबी मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता थे। वे खुरई से विधायक है। पार्टी के दूसरे नेताओं से बहस और संघर्ष के चलते कैबिनेट में स्थान नहीं मिला। साथ ही, भूपेंद्र सिंह ने गोविंद सिंह राजपूत को जातिगत समीकरण में डालने के बाद क्षेत्रीय और जातिगत दोनों समीकरणों से बाहर हो गया। इसलिए भी उन्हें मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला।

श्री राम चौधरी

सांची से बीजेपी विधायक रहे डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया। लेकिन वे यहां आने के बाद मंत्री पद पर नहीं रहे, इसलिए पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया।

विधायक श्री बृजेन्द्र सिंह यादव

जातिगत समीकरणों के कारण भी बृजेंद्र सिंह यादव को उनका पद गंवाना पड़ा है। वह ओबीसी है और यादव है। मुख्यमंत्री यादव और कृष्णा गौर भी इसी से हैं। इसके चलते ही उन्हें निकलना पड़ा।

सांसद उषा ठाकुर

पहली बात तो यह थी कि विधायक ऊषा ठाकुर ने पहले ही मंत्री पद पर रहते हुए विभागीय काम बहुत प्रभावशाली नहीं था। वह क्षेत्रीय समीकरण में फिट नहीं बैठ पाई क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट को यहां से मंत्री बनाया गया था।

ओम सखलेचा

मालवा क्षेत्र में आठ मंत्री बनाए गए। क्षेत्रीय समीकरण बिगड़ सकता था अगर एक और मंत्री बनाया जाता। ओम प्रकाश को इसके चलते कोई अवसर नहीं मिला। पार्टी ने दूसरी पिछली सरकार में एमएसएमई विभाग में मंत्री रहते हुए उनसे उम्मीद की बात नहीं की। पार्टी ने इस बार उन्हें मंत्री नहीं चुना है।

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