कोलकाता में आनंद रंगनाथन ने क्या कहा, सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई
आनंद रंगनाथन का यह वीडियो, जो सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है, इसका सटीक उदाहरण है। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के प्रफेसर आनंद रंगनाथन की बेबाकी की अंग्रेजी अखबार के एक समारोह में लोगों ने जमकर तारीफ की। उनका 1 मिनट 58 सेकंड का वीडियो क्लिप बहुत पसंद किया जा रहा है। वास्तव में, आनंद रंगनाथन ने आयोजक अखबार को आश्चर्यचकित करते हुए कहा कि वह केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ बहुत कुछ लिखता है, लेकिन पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की बड़ी गलतियों को नजरअंदाज करना अपनी आदत बन गई है।
उन्होंने ‘गोदी मीडिया’ की रेटरिक का विरोध करते हुए कई उदाहरणों से दिखाने की कोशिश की कि आयोजक अखबार सहित अनेक मीडिया संस्थान ‘दीदी मीडिया’ की भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें श्रोताओं की भीड़ से बार-बार वाहवाही मिलती है जब वह उदाहरण देते हैं।
आनंद रंगनाथन को बेबाकी क्या होता है सुनिए।
“मुझे लगता है कि ‘दीदी मीडिया’ की चर्चा के बिना बात अधूरी रह जाएगी,” आनंद रगंनाथ कहते हैं।श्रोताओं की भीड़ ने आनंद की बात सुनते ही तालियां बजाईं। बाद में आनंद रंगनाथन ने कहा, “मैं सुनिश्चित करता हूं (आयोजक का नाम लेकर) कि (अखबार का नाम लेकर) अब कभी सीडीसी (कार्यक्रम का नाम) नहीं करेगा।”‘आनंद, अब वास्तव में आपको रुक जाना चाहिए,’ आयोजक कहते हैं।इस बीच, उपस्थित लोग ठहाके लगाते रहते हैं। तभी आनंद रंगनाथन फिर से अपनी बात करते हैं।
वह कहते हैं, “वर्षों से जब भी राज्य सरकार को लेकर कोई अप्रिय खबर आती है तो यहां का मीडिया ने मौन रहने की कला में महारत हासिल कर ली है या फिर अखबार के 20वें पन्ने पर नीचे कहीं महीन अक्षरों में देकर वह खबर दबा देती है।”‘
रंगनाथन ने आयोजक अखबार का नाम लेकर कहा कि उसके समेत इन सभी अखबारों ने शायद कुछ सीखा है। बीच में आयोजक आनंद रंगनाथन को फिर से रुकने को कहते हैं। तब आनंद ने भीड़ से पूछा कि क्या वे बोलने के लिए 30 सेकंड और मिलेंगे? हां, भीड़ से जोरदार आवाज आती है। तब आनंद कहते हैं, “एक कार्टून शेयर करने के लिए एक मेधावी प्रफेसर को तमाचे जड़े गए और गिरफ्तार किया गया।” 11 साल बाद उन्हें बाइज्जत से छुट्टी मिली। आधी रात में एक पत्रकार को उठाकर जेल में डाल दिया जाता है। हत्या, लूट और हिंसा ने विपक्ष को 20 हजार पंचायत सीटों पर जीतने से रोका है।
कैमरे के सामने तृणमूल कार्यकर्ता बैलट बॉक्स से छेड़छाड़ करते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि चुनावों के बाद हुई हिंसा के 60% मामलों में एफआईआर नहीं हुई थी। धमकियों से भयभीत होकर न्यायाधीश मुकदमों की सुनवाई से भाग जाते हैं। TMC से जुड़े लोगों के घरों से चालिस करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को COVID-19 से तुलना की जाती है। समाचार पत्र का नाम लेकर आयोजक खुशी-खुशी बहस करता है कि पत्रकारों को इन सभी मुद्दों पर चुप रहना चाहिए या बोलना चाहिए।’
तालियां बजती रहीं और आनंद बोलते रहे।
रंगनाथन ने इतना कहते ही भीड़ ने फिर तालियां बजाईं। उसने कहा कि आप कहते हैं, “सत्ता की खबर लेते रहो, लेकिन ऐसा लगता है कि आपके लिए सिर्फ मोदी सत्ता में हैं, दीदी नहीं।”वीडियो क्लिप यहीं समाप्त होता है। तालियों से श्रोता आनंद रंगनाथन का समर्थन करते हैं। याद रखें कि आनंद रंगनाथन बहुत बार टीवी पर दिखते हैं। उन्हें लगता है कि हिंदुओं ने भारत में आठवें दर्जे का नागरिक बनकर रह गया है। वह हिंदुओं को भारत में आधिकारिक रूप से अपमानित करते हैं। वो हिंदुओं के खिलाफ सरकार की नीतियों की खुलेआम आलोचना करते हैं। आनंद रंगनाथन नास्तिक हैं।साथ ही, वे कहते हैं कि उनका नास्तिक होना इसका कतई मतलब नहीं है कि वे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर बोलने से बचें। उनका लेख ‘हिंदू इन हिंदू राष्ट्र’ बहुत लोकप्रिय है।