प्राण प्रतिष्ठा में सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व चीफ जस्टिस ने राम मंदिर के सामने हाथ जोड़े
सुप्रीम कोर्ट के चार पूर्व मुख्य जज भी अयोध्या में बाल राम की प्रतिष्ठा के दौरान उपस्थित थे। शीर्ष अदालत के अन्य 32 जजों सहित वर्तमान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सोमवार को न्यायालय की सुनवाई में व्यस्त रहे। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 7 हजार से अधिक लोगों को निमंत्रण दिया गया था।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश वीएन खरे, जी एस खेहर, एनवी रमन्ना और यू यू ललित ने बाल राम प्राण प्रतिष्ठा में भाग लिया। गौरतलब है कि सुब्रमण्यम स्वामी ने 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, तो 21 मार्च 2017 को पूर्व चीफ जस्टिस खेहर ने ही राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने की सलाह दी थी। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम लला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा को विवादित जमीन का बराबर हिस्सा देने का निर्णय दिया था।
उस समय के चीफ जस्टिस रहे खेहर ने कहा कि वह वर्तमान जस्टिस से आपसी समझौता करने की कोशिश कर सकता है अगर दोनों पक्ष राजी हों। जस्टिस खेहर की बात को कोई नहीं मान सका।
अगस्त 2019 में, पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर की पीठ ने इस विवाद पर अंतिम सुनवाई शुरू की। रिटायर्ड जस्टिस एफ एम आई कैफुल्ला, श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में जस्टिस गोगोई ने मामले पर अंतिम निर्णय लेने के लिए एक पैनल बनाया। लेकिन जस्टिस गोगोई ने जस्टिस बोबडे की सलाह के लिए पैनल बनाने का निर्णय अनिच्छापूर्वक लिया था।
पैनल ने इस मामले में सहमत होने की पूरी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च अदालत ने अपना अंतिम निर्णय सुनाया। इस निर्णय में राम मंदिर बनाने के लिए विवादित 2.77 एकड़ जमीन और आसपास की जमीन दी गई। अदालत ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाले केवल एक पूर्व जज अशोक भूषण थे। समारोह में छह पूर्व जज भी शामिल हुए। समारोह में वरिष्ठ न्यायाधीशों में जस्टिस ए आर दवे, जस्टिस के एस राधाकृष्णन, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस ए के गोयल भी उपस्थित थे।