Paytm Payment Bank के लाइसेंस को भी रद्द कर दिया जाएगा? पढ़ें बड़ा अपडेट
Paytm Payment Bank में महत्वपूर्ण बदलाव है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसके ऑपरेटिंग लाइसेंस को रद्द करने पर विचार कर रहा है। Bloomberg ने यह सूचना मामले से जुड़े सूत्रों से दी है। पेटीएम पेमेंट्स बैंक को लोन देने, फंड ट्रांसफर करने और नए जमा स्वीकारने से पहले ही बैंकिंग नियामक ने रोक दिया है। उसने बैंक की अधिकांश सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया है। अगले महीने की शुरुआत में ऑपरेटिंग लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया जा सकता है। बैंक को 29 फरवरी 2024 तक सभी भुगतान बंद करने का आदेश दिया गया है। उसे रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को एक प्रपोजल पेश करना होगा जिसमें अपनी बाकी देनदारियों का निपटान कैसे करेगा।
इसी के बाद ऑपरेटिंग लाइसेंस को कैंसिल करने का निर्णय लिया जा सकता है।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड एक रिस्ट्रिक् टेड बैंक है। यह उधार नहीं दे सकता, लेकिन जमा ले सकता है। बैंक में बिलियनेयर विजय शेखर शर्मा की 51% हिस्सेदारी है। वन 97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड, पेटीएम की पैरेंट कंपनी, बाकी हिस्सेदारी रखती है।
सूत्रों ने बताया कि आरबीआई 29 फरवरी की तिथि के बाद कार्रवाई कर सकता है। ग्राहकों को इस समय के बाद पेटीएम पेमेंट्स से बचत खातों या डिजिटल वॉलेट में पैसे डालने से रोक दिया जाएगा। अभी तक अंतिम फैसला नहीं हुआ है। पेटीएम के प्रतिनिधित्व से आरबीआई का विचार भी बदल सकता है।
अब तक क्या हो गया?
नवंबर २०२२: पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई ने कुछ नियमों का उल्लंघन करने के कारण जुर्माना लगाया था। इसमें ग्राहकों का अपर्याप्त सत्यापन और डेटा का दुरुपयोग शामिल हैं।
फरवरी २०२४: रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को लोन देने, फंड ट्रांसफर करने और नए जमा स्वीकारने से मना कर दिया। बैंक की अधिकांश सेवाएं बंद हो गईं।
क्या है ऐक्शन?
बैंक रेगुलेटर ने कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक धोखाधड़ी को दूर करने में नाकाम रहा है, इसलिए प्रतिबंध लगाए गए। बैंक पेटीएम पेमेंट्स पर कई आरोप हैं।
1. डेटा सुरक्षा में खतरा: बैंक ने ग्राहकों को सही तरह से नहीं जांचा था।
– बैंक ने ग्राहकों की जानकारी की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रबन्ध नहीं किए थे।
– बैंक ने अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए आरबीआई के नियमों का पालन नहीं किया था।
2. व्यापार में अनियमितताएं बैंक ने लेनदेन में अनियमितताओं और धोखाधड़ी से ग्राहकों को बचाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए थे।
– बैंक लेनदेन में पारदर्शी नहीं था।
3. आरबीआई के नियमों का उल्लंघन
– बैंक ने आरबीआई के नियमों का पालन नहीं किया था।
– बैंक ने समय पर रेगुलेटर को सूचना नहीं दी थी।