स्मार्ट क्लासरूम: पंजाब के स्कूलों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है कि एक नया अध्याय शुरू होने वाला है।
पंजाब सरकारी स्कूलों में एक नया शैक्षणिक क्रांति शुरू होने वाला है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में उच्च तकनीक के स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए जाएंगे। प्रदेश के सरकारी हाई स्कूलों और सीनियर सैकंडरी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए smart classroom बनाए जाएंगे। प्रदेश के 3,821 स्कूलों में 7,642 कमरों को स्मार्ट बनाने की तैयारी पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड ने शुरू कर दी है। फ्लैट पैनल टच एलईडी स्क्रीन और प्रोजैक्टर कक्षाओं में लगाए जाएंगे।
फिलहाल 3,821 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम हैं, लेकिन आने वाले समय में राज्य के सभी जिलों में सभी सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम बनाए जाएंगे। 2018 से पंजाब में सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षण शुरू किया गया था। शुरूआत में, पायलट प्रोजेक्ट में 30 स्कूलों को स्मार्ट क्लासरूम दिए गए। एनिमेटेड पाठ्यक्रम बच्चों को पढ़ाया गया और पाया गया कि प्रोजेक्टर और स्क्रीन की मदद से बच्चों ने जो पढ़ा, उसका बच्चों के दिमाग पर अधिक प्रभाव पड़ा।
प्रदेश के 19, 120 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में 1-1 एलईडी स्क्रीन और प्रोजेक्टर लगाए गए. हाई स्कूल में 3 और सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में 5 कमरे में व्हाइट बोर्ड स्क्रीन प्रोजेक्टर लगाए गए। पुराने प्रोजैक्टर से जुड़े व्हाइट बोर्ड की स्क्रीन को छूने से काम नहीं करता था, लेकिन हाईटैक टच पर मोबाइल की तरह काम करेगा। स्मार्ट क्लासरूम में एक टच स्क्रीन व्हाइट बोर्ड पर रिकॉर्डेड लैक्चर चलाया जा सकता है, जो यू-ट्यूब पर उपलब्ध NCERT सामग्री को स्क्रीन पर दिखाता है, जैसे टीवी।
इंटरनैट की मदद से मोबाइल पर मौजूद डेटा भी स्क्रीन पर दिखाया जा सकता है। ताकि स्मार्ट क्लासरूम सही मायने में बच्चों को शिक्षा दे सकें, स्कूलों में वाई-फाई की सुविधा भी शुरू की जाएगी। शिक्षा अधिकारी का कहना है कि सभी राज्य अभी डिजिटल शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने पिछले कुछ समय में स्मार्ट क्लासरूम को आकर्षक बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं। स्मार्ट क्लासरूम के खिड़की और दरवाजे पेंट किए गए थे, साथ ही सुंदर पदाँ भी लगाए गए थे। क्लासरूम में डोरमैट, डस्टबिन, डस्टर और लेजर लाइट थीं। स्मार्ट क्लासरूम खरीदने के लिए बजट भी मंजूर हुआ। विभाग ने प्रत्येक स्मार्ट स्कूल के लिए तीन हजार रुपए, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए छह हजार रुपए, हाई स्कूलों के लिए नौ हजार रुपए और सीनियर सैकेंडरी स्कूलों के लिए पंद्रह हजार रुपए की राशि मंजूर की।