MS Swamnathan: क्या है स्वामीनाथन आयोग का वह हथियार जो आज भी देता है किसान आंदोलन को धार
MS Swamnathan: भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन को दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट करके इसकी सूचना दी। 1925 में तमिलनाडु के कुंबकोणम में जन्मे स्वामीनाथन ने देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
वह 98 वर्ष की उम्र में 28 सितंबर को मर गए। स्वामीनाथन ने देश में सदियों से चले आ रहे पुराने खेती के तरीकों को छोड़कर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने का पक्ष लिया। उन्हें देशी और विदेशी अनाजों की नई संकर किस्में मिली। ये किस्में बहुत जल्दी फसल देती थीं। 60 के दशक के आखिर में इनका उपयोग शुरू हुआ।
स्वामीनाथन की कोशिशों से भारत भुखमरी से बाहर निकल सका, और आज हम कई तरह के अनाज का निर्यात करते हैं। स्वामीनाथन ने हरित क्रांति के अलावा किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई सुझाव दिए थे।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सबसे महत्वपूर्ण सुझाव था। 2004 में, देश के किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और पैदावार को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन से संपर्क साधा था। स्वामीनाथन आयोग नामक कमीशन उनकी अध्यक्षता में बनाया गया था। 2006 में कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें बहुत सी सिफारिशें दी गईं।
लेकिन अब तक कोई सरकार इन सिफारिशों को पूरी तरह से लागू नहीं कर पाई है। यही कारण है कि इस आयोग की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने की बार-बार मांग उठती रहती है। माना जाता है कि किसानों की सोच बदल जाएगी अगर इस रिपोर्ट को लागू किया जाए। ताकि छोटे किसानों को फसल का उचित मुआवजा मिल सके, समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को औसत लागत से पचास प्रतिशत अधिक रखने की सिफारिश की। समिति ने कहा कि किसानों की फसल के न्यूनतम सर्मथन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित न रहें। किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज कम लागत पर मिलें। साथ ही, आयोग ने जमीन का सही बंटवारा करने की भी सिफारिश की थी।
भूमिहीन किसान परिवारों को इसके तहत सरप्लस जमीन दी जानी चाहिए।साथ ही, आयोग ने राज्य स्तर पर किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाओं को बढ़ाने और वित्त-बीमा व्यवस्था को मजबूत करने की घोषणा की। आयोग की एक महत्वपूर्ण सिफारिश थी कि महिला किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देना चाहिए था।
साथ ही, आयोग ने कहा कि किसानों की मदद के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए। असल में, बाढ़ और सूखा से फसल पूरी तरह बर्बाद होने के बाद किसानों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती। बीज आदि में धन लगा चुका किसान कर्ज में फंस जाता है और अंततः आत्महत्या करने को मजबूर होता है। देश में हाल के वर्षों में सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या की है। यही कारण है कि हर बार जब भी देश में किसान आंदोलन होता है, एसएसपी का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण होता है।