CBSE Board Exam: CBSE बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने क्या कहा?
CBSE Board Exam को लेकर छात्रों में बढ़ते तनाव को दूर करने के लिए बोर्ड एग्जाम के पैटर्न में बदलाव हो सकते हैं। ऐसे में आइए समझते हैं नए पैटर्न के अनुसार परीक्षा का क्या स्वरूप होगा ? इसके साथ ही दो बार परीक्षा से छात्रों को क्या – क्या फायदा होगा ?
Exams for CBSE students स्कूली शिक्षा के लिए तैयार किए गए नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) के आधार पर बोर्ड एग्जाम के पैटर्न में बड़े बदलाव होने अब तय हैं। छात्रों पर परीक्षा के बढ़ते तनाव को दूर करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की यह पहल मौजूदा समय की जरूरत है। हालांकि एक वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा का स्वरूप क्या होगा, टाइमिंग क्या होगी, छात्रों को दो बार परीक्षा का ज्यादा से ज्यादा कैसे फायदा होगा, ये कुछ ऐसे सवाल है, जिनके बारे में शिक्षा मंत्रालय को स्पष्टता लानी होगी।
इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की ओर से तैयार किए गए एनसीएफ में वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा करवाने की सिफारिश भी की गई है। छात्रों के पास इन दोनों परीक्षाओं में से एक बेस्ट स्कोर चुनने का विकल्प होगा। वहीं यह छात्र पर निर्भर है कि वह चाहे तो एक ही परीक्षा में अपीयर हो या दोनों परीक्षाओं में शामिल हो। शिक्षा मंत्रालय का कहना है CBSE board exam कि वर्ष में दो बार परीक्षा होने से छात्रों के मन में बोर्ड की टेंशन दूर हो जाएगी। मौजूदा समय में बोर्ड परीक्षाएं साल में एक बार ली जाती हैं तो किसी एक दिन खराब प्रदर्शन करने वाले छात्र के पास कोई विकल्प नहीं बचता है।
क्या पहली बार होगा यह प्रयोग?
शिक्षाविद् और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली का कहना है कि पहले भी वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होती थी। मार्च- अप्रैल में मुख्य परीक्षा होती थी और उसके बाद जुलाई में सप्लीमेंट्री या कंपार्टमेंट परीक्षा होती थी। जब एनसीएफ 2000 और 2005 आया तो सप्लीमेंट्री एग्जाम के साथ-साथ इंप्रूवमेंट एग्जाम का विकल्प भी छात्रों को दिया गया। छात्रों को यह सुविधा दी गई थी कि सप्लीमेंट्री परीक्षा के साथ-साथ कम से कम एक विषय में इंप्रूवमेंट एग्जाम दे सकते हो। जिन एक- दो विषयों में छात्र फेल हो जाता था, उन विषयों में छात्र को सप्लीमेंट्री परीक्षा देनी होती थी।
CBSE students
इसके अलावा वह किसी भी एक विषय में अपने नंबरों में सुधार के लिए इंप्रूवमेंट भी दे सकता था। सप्लीमेंट्री के साथ एक विषय में इंप्रूवमेंट का नियम लागू था। उसके बाद फिर इस व्यवस्था में कुछ सुधार हुआ और तय हुआ कि सप्लीमेंट्री के साथ-साथ छात्र दो विषयों में इंप्रूवमेंट हो सकता है। यानी अगर छात्र चाहे तो दो विषयों में नंबरों में सुधार के लिए इंप्रूवमेंट दे सकता है।
दो बार बोर्ड परीक्षा कैसे अलग होगी
सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली का कहना है कि जहां इंप्रूवमेंट पैटर्न में छात्रों को सीमित चॉइस दी जाती थी, वहीं अब सीमित चॉइस नहीं होगी। अगर छात्र सभी विषयों में इंप्रूवमेंट के परीक्षा देना चाहता है तो वह दूसरी बार होने वाली बोर्ड परीक्षा में बैठ सकता है। दो बार बोर्ड परीक्षा का कदम सराहनीय है। बोर्ड को यह देखना होगा कि छात्र का सारा सिलेबस समय पर पूरा हो। जब अकैडमिक सेशन फरवरी में खत्म होता है तो मार्च में बोर्ड परीक्षा होती है। दोबारा बोर्ड परीक्षा जून-जुलाई में हो सकती है। अगर किसी कारण से छात्र मार्च की परीक्षा नहीं दे पाता तो उसके पास दूसरा अवसर भी होगा। उसका एक वर्ष खराब होने से बच जाएगा और बेस्ट स्कोर चुन सकेगा।
2024 CBSE Board Exam
छात्रों के हित में लेकिन तैयारी जरूरी
वर्ष में दो बार परीक्षा निश्चित तौर पर छात्रों के हित में है। लेकिन इसके लिए बहुत तैयारी की जरूरत होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमूमन दूसरी बार बोर्ड परीक्षा जुलाई से पहले आयोजित करना संभव नहीं होगा। कई जगह अप्रैल तो कई जगह जुलाई में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होता है। उस समय स्कूल, प्रिंसिपल, टीचर्स पर दबाव होता है। ऐसी स्थिति में यह देखना होगा कि दूसरी बोर्ड परीक्षा की समय-सीमा कम हो क्योंकि दूसरी बोर्ड परीक्षा एक से डेढ़ महीने तक नहीं चल सकती। अशोक गांगुली का कहना है कि सीबीएसई को देखना होगा कि दूसरी बोर्ड परीक्षा में अवधि को कैसे कम करें, जिससे क्लासरूम टीचिंग भी प्रभावित न हो। एक विकल्प यह हो सकता है कि एक दिन में दो शिफ्ट में परीक्षा हो, परीक्षा के बीच में गैप कम कर सकते हैं।
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छात्रों को ज्यादा फायदा कैसे मिलेगा
एक चुनौती यह होगी कि CBSE board exam 12वीं के छात्र का अगर दूसरी बोर्ड परीक्षा में ज्यादा अच्छा स्कोर आता है तो इसका फायदा उसे कैसे मिलेगा? यूनिवर्सिटी में तो छात्र पहली बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर आवेदन करेगा। हालांकि अभी काफी यूनिवर्सिटी में सीयूईटी टेस्ट के आधार पर एडमिशन होते हैं। लेकिन अभी भी कई जगह 12वीं के नंबरों को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में 12वीं के छात्र का दूसरी बोर्ड परीक्षा में अच्छे स्कोर को कैसे एडजस्ट किया जाएगा और उसके आधार पर उसे उच्च शिक्षा में कैसे फायदा मिले, यह भी एक बड़ा मसला रहेगा।