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Important issue in Lok Sabha elections: 10 साल में पंजाब को केवल दो मेडिकल कॉलेज मिले, राज्य अभी भी सेहत में आत्मनिर्भर नहीं है

Important issue in Lok Sabha elections: आज भी पंजाब के लोग पीजीआई चंडीगढ़, पीजीआई रोहतक और दिल्ली एम्स पर भरोसा करते हैं।

दस साल में पंजाब को केवल दो नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं, जबकि हरियाणा को आठ और हिमाचल प्रदेश को पांच नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं। पंजाब में 12 मेडिकल कॉलेज हैं, जबकि हरियाणा में 15 और हिमाचल प्रदेश में आठ हैं।

पंजाब में मेडिकल क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने वाले छात्रों के लिए एमबीबीएस की सीटें बढ़ गई हैं। 2013 में पंजाब में 1,245 एमबीबीएस सीटें थीं, जो 2022–2023 में 1,800 हो गईं। हरियाणा की तुलना में यह आंकड़ा बहुत कम है। 2013 में हरियाणा में 800 एमबीबीएस सीटें थीं, जो 2023 तक 2,185 हो गईं।

Important issue in Lok Sabha elections

पांच साल में 16 मेडिकल कॉलेज बनाने का लक्ष्य

नवंबर 2022 में पंजाब सरकार ने अगले पांच वर्षों में कपूरथला में 16 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का वादा किया था। प्रदेश में 16 नए मेडिकल कॉलेजों के साथ 25 तक करने का लक्ष्य था। इस समय यह १२ है। वर्तमान में पंजाब में पांच सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। एमबीबीएस की 825 सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों (अमृतसर, पटियाला, फरीदकोट और गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज) में हैं। केंद्र ने देश भर में 157 नए मेडिकल कॉलेजों की अनुमति दी है। इनमें से 108 मेडिकल कॉलेजों ने अपना कार्य शुरू कर दिया है।इन मेडिकल कॉलेजों को तीन चरणों में पूरा करना था। तीन मेडिकल कॉलेज पंजाब में प्रस्तावित किए गए थे। एसएस नगर, कपूरथला और होशियारपुर में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे।

बठिंडा एम्स पहले ओपीडी था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पंजाब के बठिंडा में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) का उद्घाटन किया। एम्स बठिंडा का निर्माण 925 करोड़ रुपये में पूरा हुआ है। एम्स बठिंडा में फिलहाल केवल ओपीडी सेवाएं दी जा रही हैं। IPD सेवाओं को शुरू करने में समय लगेगा। पंजाब में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर हमेशा एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है।

PGI चंडीगढ़ में 38% मरीज पंजाब से हैं

आंकड़े देखें तो पिछले वर्ष चंडीगढ़ पीजीआई में ओपीडी में लगभग 28 लाख मरीजों ने नामांकन किया था। दस लाख मरीजों में से करीब 38% पंजाब से थे। ऐसे में पंजाब में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सिर्फ एम्स बठिंडा जैसे स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर से मिल सकती हैं। 177 एकड़ के बठिंडा एम्स में 750 बेड होंगे। इसमें दस विशिष्ट और ग्यारह अति विशिष्ट विभाग बनाए गए हैं। 16 नवीनतम ऑपरेशन थिएटर होंगे। 100 एमबीबीएस सीटें और 60 नर्सिंग सीटें हैं। फरीदकोट की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज ने एमबीबीएस का पहला बैच शुरू किया था।

1,940 पदों पर मेडिकल अफसरों की भर्ती का इंतजार

पंजाब में 1,940 मेडिकल ऑफिसर जनरल पदों पर लंबे समय से भर्ती का इंतजार है। हाल ही में पंजाब लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र से इन पदों को हटाकर बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज फरीदकोट में भरे जाने का प्रस्ताव पास हुआ है। साथ ही, मेडिकल ऑफिसर (जनरल) के 189 पदों को बहाल किया गया है और 1390 पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।

पंजाब में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 829 आम आदमी क्लीनिक बनाए गए। इन आम आदमी क्लीनिकों को चलाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। राज्य में 829 सामान्य आदमी क्लीनिक हैं। इनमें से 521 क्लीनिक ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं, जबकि 308 शहरी इलाकों में हैं।

हाइपरटेंशन, शुगर, चर्म रोग और वायरल बुखार जैसी मौसमी बीमारियां इन आम आदमी कलीनिक में फ्री में दी जाती हैं। क्लीनिक में 38 अलग-अलग प्रकार की जांच भी की जाती है। सात मार्च 2024 तक, इन आम आदमी क्लीनिकों में 1,12,79,048 मरीजों का इलाज किया गया है और 31,69,911 डायगनोस्टिक टेस्ट किए गए हैं। पंजाब सरकार ने पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज भी बनाया है, जो राज्य के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए बनाया गया है।

पंजाब में लिवर कैंसर से पीड़ित सबसे अधिक मरीज हैं

पंजाब में लिवर रोग से सबसे अधिक मरीज हैं। पंजाब में हर दूसरा व्यक्ति फैटी लिवर से पीड़ित है, पीजीआई चंडीगढ़ की एक अध्ययन से पता चलता है। पंजाब में एल्कोहॉलिक लिवर की समस्या सबसे अधिक है। पंजाब में लिवर मर्ज से पीड़ित लोगों के लिए पहला पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज शुरू किया गया है।

अभी इस संस्थान को सफलतापूर्वक शुरू करने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी है। यह सरकारी चिकित्सा संस्थान मरीजों को फाइब्रोस्कोपी, एंडोस्कोपी और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड जैसी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं देगा। यह भी राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में टेली-मेडिसिन सेवाएं देगा। हेपेटोलॉजी में प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। इस संस्थान को 40 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है और 80 डॉक्टरों, 150 स्टाफ नर्स और 200 ग्रुप-डी कर्मचारियों सहित लगभग 450 कर्मचारियों का स्टाफ चाहिए। पीजीआई चंडीगढ़ के हेपेटोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख वरिंदर सिंह को संस्थान का डायरेक्टर बनाया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं का मूल ढांचा ध्वस्त

प्रदेश भर में श्री मुक्तसर साहिब का गिद्दड़बाहा का सिविल अस्पताल स्वास्थ्य सेवाओं में सर्वश्रेष्ठ था। आज यहां डॉक्टरों, नर्सों और अन्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। प्रदेश के कई जिला अस्पतालों में भी ऐसा है। लोगों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली या चंडीगढ़ के पीजीआई में जाना चाहिए। बुनियादी स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। – पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग

आम आदमी क्लीनिक में मुफ्त दवा

प्रदेश में हर कस्बे और शहर में आम आदमी क्लीनिक हैं, जहां लोगों को मुफ्त दवा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं।प्रदेश का पहला लिवर इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हो गया है, जिसमें नए मेडिकल कॉलेज और अधिक एमबीबीएस सीटों की व्यवस्था की गई है। पंजाब सरकार, सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में, राज्य को मेडिकल हब बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। – आप पंजाब के प्रधान प्रवक्ता मालविंदर सिंह कंग

दवा की पर्याप्त आपूर्ति नहीं

आम आदमी क्लीनिक पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। वास्तव में, लोगों को यहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। वास्तव में, अस्पतालों में निशुल्क दवाइयों का दावा गलत है; उनमें पर्याप्त मात्रा में दवा नहीं होती। अस्पताल में जांच करने के लिए उपकरण नहीं हैं। लोगों को बाहर महंगी लैबों में जांच करानी पड़ती है। – शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल

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