श्रावण अधिक मास की अमावस्या तिथि को अधिक मास अमावस्या मनाई जाएगी. यह अमावस्या हर 3 साल
में एक बार आती है. अधिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. अमावस्या पर पितरों को खुश करने के लिए तर्पण, पिंडदान आदि उपाय करते हैं. इससे नाराज पितर प्रसन्न होते हैं. इस साल अधिक मास अमावस्या कब है और पितृ दोष उपाय का समय क्या होगा? इस बारे में बता रहे हैं काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट.
अधिक मास अमावस्या 2023 तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 15 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है. यह तिथि अगले दिन 16 अगस्त बुधवार को दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर अधिक मास अमावस्या 16 अगस्त बुधवार को है.
अधिक मास अमावस्या 2023 स्नान-दान मुहूर्त
16 अगस्त को अधिक मास अमावस्या के स्नान और दान का समय सुबह से ही प्रारंभ है. उस दिन आप सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक स्नान और दान कर सकते हैं. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 24 मिनट से सुबह 05 बजकर 07 मिनट तक है. दिन में सुबह 10 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक शुभ उत्तम मुहूर्त है.
अधिक मास अमावस्या 2023 पितरों के तर्पण का समय
16 अगस्त को अधिक मास अमावस्या पर आप पितरों के लिए तर्पण स्नान के बाद कर सकते हैं. स्नान के बाद अंगुली में कुश की पवित्री पहनकर जल और काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए. कहा जाता है कि अमावस्या पर तर्पण करने से वह जल पितरों को प्राप्त होता है और वे इसे पाकर तृप्त होते हैं क्योंकि पितृ लोक में जल की कमी होती है. जल तर्पण से भी पितृ दोष दूर हो सकता है.
अधिक मास अमावस्या 2023 पितृ दोष उपाय समय
अधिक मास अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोज, दान, पंचबलि कर्म आदि किए जाते हैं. इन पितृ दोष के उपायों को आपको अधिक मास अमावस्या के दिन सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 2 बजकर 30 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए.
अधिक मास अमावस्या 2023 शिववास
अधिक मास अमावस्या पर शिववास गौरी के साथ है. इस दिन शिववास सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक है. ऐसे में आप इस दिन सुबह से दोपहर 03:07 बजे तक रुद्राभिषेक कर सकते हैं.
अमावस्या का महत्व
अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने, उसकी जड़ को जल अर्पित करने और वहां दीपक जलाने से पितर तथा देवता गण प्रसन्न होते हैं.