Anant Chaturdashi 2024: 17 सितंबर को भद्रा के साये में अनंत चतुर्दशी, मुहूर्त, शुभ योग और पूजाविधि को नोट करें

Anant Chaturdashi 2024: द्रिक पंचांग के अनुसार भद्रा के साये में मनाया जाएगा। इस दिन श्रीहरि विष्णुजी के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है और गणेश उत्सव का विसर्जन किया जाता है।

Anant Chaturdashi 2024: सनातन धर्म में हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव का अनंत स्वरूप पूजा जाता है। गणपति बप्पा को इस दिन बड़े धूमधाम से विदा किया जाता है। महिलाएं अनंत चतुर्दशी के दिन विष्णु की पूजा करने के बाद बाएं हाथ में चौदह गांठों वाला अनंत धागा बांधती हैं, जबकि पुरुष दाएं हाथ में बांधते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन विष्णु की विधिवत पूजा करना बहुत फायदेमंद होता है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी और पूर्णिमा श्राद्ध भी होंगे। हम अनंत चतुर्दशी तिथि की सही तिथि, शुभ योग और भद्राकाल की पूजाविधि को जानते हैं।

अनंत चतुर्दशी की सही तिथि और शुभ योग:

जैसा कि जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया, चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर 2024 को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और 17 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी के दिन भद्रा का साया रहेगा और रवि योग भी बनेगा। रवि योग द्रिक पंचांग के अनुसार सुबह 06:07 AM से दोपहर 01:53 PM तक रहेगा। रवि योग में धार्मिक कार्य करना शुभ है। साथ ही, सुबह 11:44 AM से रात 9:55 PM तक भद्राकाल भी रहेगा।

अनंत चतुर्दशी की पूजाविधि निम्नलिखित है:

अनंत चतुर्दशी की सुबह जल्दी उठो।

स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।

एक छोटी चौकी पर पीला कपड़ा डालें।

यहाँ मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमाएं स्थापित करें।

संभव हो तो विष्णुजी का ध्यान करें और व्रत रखें।

परिवार के प्रत्येक सदस्य की संख्या के बराबर विष्णुजी को अनंत रक्षा सूत्र दें।

अब प्रार्थना शुरू करें। विष्णुजी के सामने दीपक जलाएं।

फल,फूल,धूप,दीप और नैवेद्य उन्हें दें।

अनंत चतुर्दशी कहानी सुनें।

मां लक्ष्मी, विष्णुजी और अन्य सभी देवताओं की आरती करें।

केले के पौधे को जल अर्पित कर पूजा करें।

अपनी क्षमतानुसार दान दें।

इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करना शुभ माना जाता है।

अनंत सूत्र बांधने की प्रक्रिया: मान्यताओं के अनुसार, पूजा के बाद महिलाओं को बाएं हाथ में अनंत सूत्र बाधना चाहिए, जबकि पुरुषों को दाएं हाथ में बाधना चाहिए। रक्षासूत्र पहनते समय ‘ऊँ अनंताय नमः’ मंत्र जाप कर सकते हैं।

 

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