धर्म

Chaitra Navratri 2025: क्या आप भी चैत्र नवरात्रि पर अखंड ज्योति जलाते हैं? नियमों को जानें 

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा करने की अलग-अलग परंपरा है। अखंड ज्योति जलाना भी इस दौरान एक परंपरा है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियम हैं। आइए उन नियमों को जानें जिनका पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है।

Chaitra Navratri 2025: भक्तों ने हर साल चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया, जो मां दुर्गा की पूजा और आराधना का विशिष्ट अवसर है। इस दौरान विशेष रूप से एक धार्मिक परंपरा, जिसे “अखंड ज्योति जलाना” कहा जाता है, का पालन किया जाता है। अखंड ज्योति का अर्थ है एक ज्योति जो नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के समय जलती रहती है और 9 दिनों तक निरंतर जलती रहती है। यह मां दुर्गा का आशीर्वाद है और घर में सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक है।

धार्मिक मान्यताओं में से एक है कि अखंड ज्योति जलाने से देवी घर में रहती है और परिवार को आशीर्वाद और ऊर्जा मिलती है। ताकि इसका पूरा फायदा मिल सके, इसे सही तरीके से जलाना और नियमों का पालन करना आवश्यक है। अब आप अखंड ज्योति जलाने में क्या विशेष नियम लागू होते हैं।

अखंड ज्योति का महत्व

नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाना बहुत महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भक्तों की विशेष इच्छाओं को पूरा करने के लिए यह ज्योत जलायी जाती है। अखंड ज्योति 9 दिनों तक निरंतर जलती रहती है। माना जाता है कि जलने वाली ज्योति मां दुर्गा को प्रसन्न करती है और कृपा देती है।

क्योंकि अखंड ज्योति बुझना अशुभ है, इसे हमेशा जलता रहना चाहिए। इसे प्रतिपदा से दशमी तिथि तक नवरात्रि के दौरान जलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस परंपरा से धार्मिक आस्था मजबूत होती है और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जो परिवार के हर सदस्य को खुश करती है।

अखंड ज्योति जलाने का नियम

  • प्रतिपदा तिथि से दशमी तिथि तक अखंड ज्योति को लगातार जलाना चाहिए। यह दीपक नवरात्रि के दौरान खास महत्व रखता है क्योंकि यह पूरे नौ दिनों तक जलता रहता है, जिससे देवी दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
  • शुद्ध तेल (घी या सरसों का तेल) को दीपक में डालकर गेहूं, जौ या चावल के ऊपर रखें। यह सामग्री स्वच्छ होनी चाहिए और सात्विक होनी चाहिए। टूटे हुए चावल का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अशुद्ध है।
  • ज्योति जलाते समय, “करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते” मंत्र का जाप करना चाहिए। घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के साथ-साथ शत्रुओं से रक्षा करने और स्वास्थ्य की रक्षा करने का लक्ष्य भी यह मंत्र है।
  • कभी भी अखंड ज्योति को अकेला नहीं छोड़ें। इसका अर्थ है कि रोशनी जलती हुई रखें। अगर यह किसी तरह बुझ जाए, तो इसे तुरंत जलाकर सही जगह पर रखें। ज्योति बुझना अशुभ है।
  • पूरे स्थान की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें जहां अखंड ज्योति जल रही हो। नकारात्मक ऊर्जा को बाहर न आने देने के लिए घर को शांत रखें।
  • पूजा करते समय पूरी श्रद्धा और ध्यान दें। जब आप अखंड ज्योति जलाते हैं, तो इसे एक धार्मिक अनुष्ठान की तरह करें और इसे शुद्ध भाव, श्रद्धा और विश्वास से करें।
  • नकारात्मकता और झूठ से बचें, ताकि मां दुर्गा की कृपा मिल सके।
  • इन नियमों का पालन करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है, जिससे घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

अखंड ज्योति के बुझने पर क्या करें?

क्योंकि अखंड ज्योति को लगातार जलाया जाता है, इसे बुझना अशुभ माना जाता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो सबसे पहले मां दुर्गा से माफी मांगे और उनसे दिल से प्रार्थना करें कि वे आपके घर में आशीर्वाद और सुख को बनाए रखें। अब अखंड ज्योति के पास एक छोटा दीपक जलाएं. इस दीपक की रोशनी से अखंड ज्योति को फिर से जलाया जा सकेगा।

अगर नवरात्रि के बाद भी ज्योति जलती रहती है, तो उसे खुद से बुझाने की बजाय स्वतः बुझने दें। किसी बाहरी कारण से इसे समझाना या हस्तक्षेप करना गलत है। इसलिए, जैसे-जैसे दीपक का तेल खत्म होता है, उसे स्वाभाविक रूप से बुझने देना चाहिए। इस तरह ज्योति सही तरीके से शांत होती है।

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