राज्यछत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने गर्मियों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय: फील्ड विजिट कर समस्याओं का मौके पर समाधान सुनिश्चित करें अधिकारी

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को ग्रीष्मकाल में सुरक्षित और निर्बाध पेयजल देना सबसे महत्वपूर्ण है। सभी विभागों के बीच समन्वय और जनसहभागिता इसके लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए जल संरक्षण की दिशा में ठोस और निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि प्रदेश आने वाले समय में जल संकट से बच सकें। मंत्रालय में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने संबोधित किया।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु के दौरान पेयजल की समुचित और निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सबसे पहले सभी आवश्यक कार्रवाई करें।

ग्रीष्मकालीन मौसम को देखते हुए, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता पेयजल की उपलब्धता को बनाया है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि जल संकट की किसी भी संभावना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित और समन्वित कार्रवाई की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन, ऊर्जा, वन और कृषि मंत्रालयों को इस दिशा में मिलकर काम करने के निर्देश दिए।

उनका कहना था कि प्रदेश में पेयजल की समस्याओं को हल करने के लिए दीर्घकालिक और अल्पकालिक योजनाएँ दोनों आवश्यक हैं। इसके लिए उन्होंने रिचार्ज पिट, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा आधारित पंपों को तेजी से बढ़ावा देने पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने भूजल के अनियंत्रित दोहन पर सख्त निगरानी रखने और कम जल खपत वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने के निर्देश दिए, जिससे जल संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कार्यालयों तक सीमित न रहकर जमीन पर जाकर हालात का आकलन करें और पेयजल संबंधी समस्याओं का तत्काल समाधान सुनिश्चित करें।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि आगामी 15 दिनों के भीतर राज्य में एक विशेष अभियान चलाया जाए, जिसमें सभी हैंडपंपों और सार्वजनिक नलों की मरम्मत की जाएगी। उनका कहना था कि कई जगहों पर हैंडपंपों में छोटी-छोटी तकनीकी समस्याएँ होती हैं, जिन्हें स्थानीय मैकेनिकों द्वारा जल्दी हल किया जा सकता है, जिससे लोगों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सकता है।

बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार ने इस काम को जल्दी पूरा करने के लिए पूरे राज्य में मोबाइल वैन यूनिट्स की विशेष व्यवस्था की है. ये यूनिट आगामी चार महीनों तक क्षेत्र में रहेंगे और प्राथमिकता से मरम्मत और रखरखाव करेंगे।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार की पहली प्राथमिक जिम्मेदारी है कि प्रदेश के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय भू-प्राकृतिक परिस्थितियों के अनुसार जल संरक्षण उपायों को बढ़ावा दिया जाए। गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य भर में अमृत सरोवरों को जल प्रबंधन के मॉडल के रूप में बनाया जाए, ताकि वे सामुदायिक भागीदारी, वर्षा जल संरक्षण और जल संग्रहण के प्रभावी उदाहरण बन सकें। तालाबों और जलाशयों के आसपास हो रहे अतिक्रमण को दूर करने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि जलस्रोतों की रक्षा करना केवल प्रशासनिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि एक सामूहिक सामाजिक कर्तव्य भी है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सौर ऊर्जा पर आधारित पेयजल योजनाओं के कार्यान्वयन और रखरखाव की प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया। उनका कहना था कि इन योजनाओं का सफल कार्यान्वयन ऊर्जा की बचत और जल स्रोतों का अपव्यय कम कर सकता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि सोलर पेयजल योजनाओं में ‘सेंसर आधारित स्वचालित प्रणाली’ लागू की जाए, जिससे जल वितरण की निगरानी और नियंत्रण तकनीकी रूप से संभव हो सके, और राज्य स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका को जल संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ग्राम स्तर पर जनजागरूकता और सहभागिता ही जल संकट का दीर्घकालिक समाधान है। उन्होंने कहा कि ग्रामसभाओं में जल संरक्षण, भूजल प्रबंधन और निस्तारी जल योजनाओं पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए, ताकि समुदाय स्तर पर ठोस कार्रवाई की जा सके। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने विशेष रूप से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इन कार्यक्रमों को सुनियोजित रूप से लागू करने और ग्राम पंचायतों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा।

इस उच्चस्तरीय बैठक में उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, श्री विजय शर्मा, श्री अमिताभ जैन, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती निहारिका बारिक, जल संसाधन विभाग के सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव श्री मोहम्मद कैसर  अब्दुल हक और कृषि, वन, जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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