सुराग जिनकी मदद से सौम्या के हत्यारे को पुलिस ने गिरफ्तार किया। टैटू, वायरलेस और सीसीटीवी कैमरा थे

सुराग जिनकी मदद से सौम्या के हत्यारे को पुलिस ने गिरफ्तार किया

सुराग जिनकी मदद से सौम्या के हत्यारे को पुलिस ने गिरफ्तार किया

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के प्रसिद्ध पत्रकार सौम्या स्वामीनाथन मर्डर केस को सुलझाने में सक्षम हुए सुरागों में हाथ का टैटू, वायरलेस फोन और सीसीटीवी फुटेज शामिल थे। 2008 में हुए मर्डर केस को सुलझाने में पुलिस को बहुत मेहनत करनी पड़ी। सौम्या केस के भी सुराग हत्या के छह महीने बाद आईटी पेशेवर जिगिशा घोष मर्डर की जांच में मिले। इसके बाद पुलिस ने जिगिशा घोष हत्याकांड की जांच की, और दूसरे और सौम्या केसों में भी कई पत्ते खुलने लगे। पुलिस के सौम्या को मार डाला गया भी था। फिर 15 वर्षों के मुकदमे के बाद बुधवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पांच आरोपियों को दोषी करार दिया। इस हत्याकांड की कहानी भी काफी दिलचस्प है।

30 सितंबर 2008 की रात थी..।

30 सिंतबर 2008 की सुबह साढ़े 3 बजे सौम्या की कार सड़क पर पलटी हुई मिली। यात्रियों ने पुलिस को फोन किया। पुलिस मौके पर आई। शुरुआत में लगता था कि यह एक दुर्घटना था, लेकिन पुलिस ने सौम्या की लाश को देखा तो हैरान हो गए। सिर के पीछे गोली का निशान था, जब सौम्या ड्राइविंग सीट पर गिरी। जब गाड़ी की देखभाल की गई, पता चला कि ड्राइविंग सीट का कांच टूटा हुआ था, बाकी शीशे ठीक थे और कार के आगे एक पहिया पंचर था। क्राइम सीन देखते ही पुलिस को पता चल गया कि हत्या लूट के लिए की गई है। Soumya को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह बच नहीं पाया।

उस लाल रंग की कार, जिसने सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस की मिस्ट्री को खोल दिया

सुराग जिनकी मदद से सौम्या के हत्यारे को पुलिस ने गिरफ्तार किया

दिल्ली में एक महिला पत्रकार की हत्या पर 6 महीने तक पुलिस के पास कोई साक्ष्य नहीं था, जिससे पूरी पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठ गए। देश भर में इसकी चर्चा होने लगी। समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में केवल सौम्या मर्डर केस का मुद्दा था। दिल्ली पुलिस बहुत कमजोर थी। पुलिस जांच में जुट गई। सीसीटीवी फुटेज प्राप्त किए गए। Soumya के कार्यालय से निकलने का अंतिम फुटेज पुलिस के पास था। पुलिस ने इसके बाद सौम्या कहाँ गई, किसने हमला किया और कैसे हमला किया, इन सभी प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दिया। दिल्ली पुलिस ने सौम्या के हत्यारों का लगभग छह महीने तक कोई स्पष्ट सबूत नहीं पाया।

बाद में, हाथ के टैटू और वायरलेस से गिरफ्तार किए गए आरोपी ने कुछ ऐसा किया, जिससे सौम्या मर्डर का मामला हल हो गया। 18 मार्च 2009 को, दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में एक आईटी कंपनी में काम करने वाली जिगिषा घोष की हत्या हुई। पुलिस मामले की जांच करने लगी। जिगिषा घोष मर्डर मामला दो या तीन महीने में ही हल हो गया। इस मामले के जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि पुलिस ने पहला सुराग सीसीटीवी फुटेज से प्राप्त किया था। फुटेज में आरोपी के हाथ पर टैटू था।

आरोपियों ने जिगिषा का डेबिट कार्ड प्रयोग करके सामान खरीद लिया था। दूसरे आरोपी, जिसने टोपी पहनी हुई थी, पुलिसकर्मी से चुराया गया वायरलेस था। यह सूचना मिलने पर पुलिस ने मसूदपुर में बलजीत मलिक के घर पर तुरंत दबिश दी। रवि कपूर और अमित शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

वसंत विहार पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व जिगिषा मर्डर केस और सौम्या मर्डर केस से हुआ था। वर्मा ने बताया कि पूछताछ के दौरान रवि कपूर ने खुद बताया कि वसंत विहार से बहुत दूर एक और लड़की ने नेल्सन मंडेला रोड पर हत्या की है। पुलिस को यह सुनकर धक्का लगा। कपूर ने बताया कि अजय कुमार और अजय सेठी भी इस हत्या में शामिल थे।

सौम्या की हत्या कैसे हुई?

सुराग जिनकी मदद से सौम्या के हत्यारे को पुलिस ने गिरफ्तार किया

यह खुलासा हुआ तो पुलिस कमिश्नर

धालीवाल ने दोनों हत्या मामलों की जांच करने के लिए पूर्व एसीपी भीष्म सिंह को नियुक्त किया। एसीपी भीष्म सिंह ने कहा कि फोरेंसिक सबूत जुटाने की बड़ी चुनौती भी थी क्योंकि सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा मिल गया था। पुलिस ने बताया कि जिस रात विश्वनाथन की हत्या हुई, कपूर मारुति वैगन आर कार चला रहे थे और शुक्ला उनके बगल में बैठे थे। कुमार और मलिक पीछे की सीट पर बैठे। पुलिस ने कहा कि वे सभी शराब पीते थे।

15 साल के इंतजार के बाद पत्रकार सौम्या मर्डर केस में फैसला हो सकता है, जिगिषा के हत्यारों से मिला था क्लू

गाड़ी नहीं रोकी तो गोली मार दी

एक अन्य अधिकारी ओपी ने कहा, ’30 सितंबर को, एक कार उनके वाहन के पास से गुजरी। यह एक मारुति जेन कार थी, जिसे सौम्या अपने घर वसंत कुंज चला रही थीं। वह करोल बाग में वीडियोकॉन टॉवर स्थित टीवी टुडे के ऑफिस से लौट रही थीं।

यह देखकर कि एक महिला ड्राइवर उनसे आगे निकल रही है और वह अकेली है, उन्होंने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी और सौम्या की कार के पास आ गए। पहले उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की, और जब उसने अपनी कार नहीं रोकी, तो कपूर ने विश्वनाथन की गाड़ी पर गोलियां चला दीं। गोली उसकी कनपटी में लगी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। विश्वनाथन की कार डिवाइडर से टकराकर रुक गई।

सभी आरोपी मौके से भाग गए लेकिन 20 मिनट बाद उसकी हालत देखने के लिए वापस आए। जब उन्होंने पुलिस कर्मियों को देखा तो वे फिर फरार हो गए। ACP सिंह ने बताया कि अदालत के फैसले से वो संतुष्ट हैं। उन्होंने बताया कि आरोपियों को तीन वजहों से दोषी करार दिया गया है। पहला क्राइम में इस्तेमाल हथियार, क्राइम सीन का फॉरेंसिक स्केच और पूरी वारदात का क्रम आरोपी के बयान से मेल खाला है।

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