CM Atishi: जो राबड़ी देवी, मांझी और चंपाई नहीं कर सके..। केजरीवाल के हटने के बाद आत‍िशी ने कर द‍िया कमाल, द‍िल्‍ली की पॉल‍िटिक्‍स में ऐसा क्‍या हुआ?

CM Atishi

CM Atishi: राजनीति में कुर्सी सब कुछ है। हमने देखा है कि नेता पद पाने या खोने के बाद भी उस पद के प्रति अपने मोह को भूल नहीं पाते। ऐसे में परिवार से लेकर पार्टी में विवाद होता है। द‍िल्‍ली की राजनीति भी कुछ ऐसे ही समय से गुजर रही है। यहां भी, अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया है, और आतिश को नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। सोमवार को आतिश ने मुख्यमंत्री पद संभाल लिया। हालाँकि आतिश ने दिल्ली का सीएम पद संभाला है, कई लोगों ने उनकी प्रशंसा की है, लेकिन बीजेपी ने इसे आम आदमी पार्टी का खेल बताया है।

राबड़ी देवी भी ऐसा नहीं क‍िया?

कुर्सी से दलों और परिवार का प्‍यार खास रहा है। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले मामले में सजा हुई तो उन्‍होंने अपनी पत्नी को सीएम बनाया, न कि पार्टी से किसी को। राबड़ी के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद काफी विवाद हुआ और दोनों पक्षों ने इस पर कई सवाल उठाए, लेकिन आरजेडी और विधायकों ने 25 जुलाई 1997 को पहली बार प्रधानमंत्री बनाया। 11 फरवरी 1999 तक पहला कार्यकाल चला। 9 मार्च 1999 को फिर से प्रधानमंत्री बनने के लिए शपथ ली और 2 मार्च 2000 तक इस पद पर रहीं। राबड़ी देवी ने लालू प्रसाद यादव को कभी सीट नहीं दी।

Bihar Politics में मांझी ने भी चलाई ऐसी सरकार

नीतीश कुमार के निधन के बाद लालू प्रसाद यादव ने अपने सबसे करीबी को मुख्‍यमंत्री बनाया। 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पहली हार के बाद, नीतीश कुमार ने यह निर्णय लिया था और जीतन राम मांझी को सीएम पद सौंप दिया था। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था। जिसका पार्टी के कई नेताओं ने वोट दिया। यही कारण है कि पार्टी की हार के बाद नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया। इसी तरह, जीतन राम मांझी ने भी नीतीश कुमार के लिए सीट खाली नहीं रखी और सरकार नहीं चलाई।

भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार होने से पहले हेमंत सोरेन ने भी बिहार के बाद झारखंड की सरकार पर ऐसा ही किया था। झारखंड के मुख्‍यमंत्री चंपई सोरेन को हेमंत सोरेन ने विधायकों की सहमति से नियुक्त किया। वहीं हेमंत ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर सीएम पद वापस ले लिया। पर हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार नहीं चलायी है।

Atishi ने क्या किया?

वहीं, अरविंद केजीवाल के सीएम पद छोड़ने के बाद आतिश ने दिल्ली का मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आतिश ने शपथ लेने के बाद सोमवार को सीएम हाउस जाकर कार्यभार संभाल लिया। आतिश ने ट्वीट करके कहा कि आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी संभाली है.। आज मेरे मन में वो ही दुःख है जो भरत जी को हुआ था जब उनके बड़े भाई भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास पर गए थे और भरत को अयोध्या का शासन चलाना पड़ा था। मैं चार महीने तक दिल्ली की सरकार चलाऊंगी, ठीक वैसे ही जैसे भरत ने अयोध्या का शासन 14 वर्षों तक संभाला था। अब सीएम हाउस में दो कुर्सी होंगी: एक अरविंद केजरीवाल की और दूसरी उनकी खुद की।

भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने आतिश के फैसले पर कहा कि खर, दूषण और ताड़का ख़ुद को राम लक्ष्मण और भरत बता रहे हैं। अब इस मोहिनी ड्रामा कंपनी की नौटंकी पर पर्दा गिराने का समय आ गया है।

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