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मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा: डिजिटल युग में हिंदी को सशक्त बनाने की अपील

मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा: हिंदी को बढ़ावा देना सभी की जिम्मेदारी है क्योंकि यह हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम है।

मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देना सभी की जिम्मेदारी है क्योंकि यह हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम है। हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और एकता का प्रतीक भी है। यह एक संवैधानिक और राष्ट्रीय आवश्यकता है, इसलिए हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में हर संभव प्रयास करना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की ओर से जयपुर के सीतापुरा स्थित जेईसीसी में मध्य पश्चिम और उत्तरी क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने भाषण दिया। उनका कहना था कि हमें हिंदी के सम्मान, इस्तेमाल और प्रसार में अपनी पूरी शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ काम करते हुए इसे हर स्तर पर प्रोत्साहित करना चाहिए। हमारी असली पहचान यही है। उनका कहना था कि हिंदी भारत की सामाजिक संस्कृति के हर पहलू को व्यक्त कर सकती है।

हिंदी भाषा हमारी संस्कृति, सोच और विचारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है

मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने डिजिटल युग में हिंदी का महत्व बताते हुए कहा कि आज के तकनीकी युग में हिंदी को डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी शामिल करना चाहिए। इस सम्मेलन में हिंदी में कंप्यूटर पर काम करने के नवीनतम तरीकों और सुविधाओं की जानकारी दी जा रही है, जो बहुत सराहनीय है। उनका कहना था कि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, विचार और सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदी का प्रशासनिक क्षेत्र में व्यापक प्रयोग होता है। राजकीय क्षेत्रों में हिंदी का सही प्रयोग होने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में गृह मंत्रालय ने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय के नेतृत्व में अद्भुत काम किया है। इनके नेतृत्व ने न केवल हमारी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी अत्यधिक भरोसा जगाया है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में हिंदी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सभी संस्थानों और व्यक्तियों को बधाई देते हुए कहा कि इन सभी का योगदान हिंदी के प्रति हमारे लगाव को और अधिक मजबूत करता है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा देश की एकता का आधार है

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय, इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, ने कहा कि देश की सभी भाषाओं का सम्मान करते हुए हिन्दी को राष्ट्रीय बोलचाल की भाषा बनाने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी एकता का आधार हिंदी है। उनका कहना था कि भाषा देश और मानव समाज की अंतःशक्ति है। भाषा के सिमित अर्थ में, यह सिर्फ संचार का साधन है, लेकिन राष्ट्र के अर्थ में, भाषा और संस्कृति किसी भी देश की आत्मा होती है जिसमें लोग बोलते हैं।

राजभाषा को समृद्ध और सक्षम बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है

श्री राय ने कहा कि सरकारी तंत्र की सफलता जनकल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को आखिरी सिरे तक पहुंचाने पर निर्भर करती है। यकीन है कि हिंदी देश की राजभाषा के रूप में इस काम को बखूबी निभा रही है, क्योंकि लोकतंत्र केवल तब कामयाब हो सकता है जब हम लोगों को उनकी भाषा में उनके हित की बात कहते हैं। उनका कहना था कि राजभाषा और आम जनता के बीच भेद को कम करना होगा, ताकि हर नागरिक देश की प्रगति से जुड़ सके। उनका कहना था कि पिछले दशक में देश भर में राजभाषा को समृद्ध और सक्षम बनाने और भारतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया गया है।

उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि हिंदी भारत में ही नहीं, नेपाल, सूरीनाम, फिजी, मारीशस, गुयाना और अन्य देशों में भी बहुत लोकप्रिय है। हिंदी ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान देश भर में राष्ट्रप्रेम और स्वाभिमान की भावना फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने हिंदी में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों को अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने पर बल दिया, जिससे भाषा सद्भाव के साथ राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूत किया जा सके।

सांसद श्रीमती मंजू शर्मा ने कहा कि राजभाषा हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएं एक-दूसरे के पूरक हैं। उनका कहना था कि हिंदी को अधिक से अधिक प्रचारित किया जाना चाहिए ताकि जनहित कार्यक्रमों का लाभ आम लोगों तक सही तरीके से पहुंचे। उन्होंने सम्मेलन को जयपुर में आयोजित करने के लिए भी शहरवासियों का आभार व्यक्त किया।

केन्द्रीय राजभाषा विभाग की सचिव श्रीमती अंशुली आर्या ने कहा कि क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलनों का उद्देश्य देश में राजभाषा हिन्दी का प्रभावी प्रयोग करना है। उनका कहना था कि हिन्दी का अधिक उपयोग और भारतीय भाषाओं की समृद्धि से आत्मनिर्भर और विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। उनका कहना था कि लोगों को अब यह अहसास होने लगा है कि भाषा, संस्कृति और स्वाभिमान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उनका कहना था कि यह सम्मेलन भी अपने संविधान निर्माताओं को धन्यवाद देने का माध्यम बना है, जो हमें अपनी विशिष्ट भाषाई विरासत पर गर्व करता है।

इस अवसर पर हिंदी में सर्वोत्कृष्ट सरकारी कामकाज करने वाले केंद्रीय सरकारी कार्यालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यक्रमों और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को भी पुरस्कृत किया गया। राजभाषा विभाग की प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया। 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों और उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे, जिनमें राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष भी शामिल थे।

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