मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने श्रीकोट आश्रम में गुरु माता पूर्णिमा जी के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया
हम सभी को इस पवित्र स्थान पर एकत्रित होकर माता पूर्णिमा जी और परम पूज्य संत गहिरा गुरु जी के योगदान पर गर्व है। उनका कहना था कि माता पूर्णिमा जी का जीवन समाज सेवा, त्याग और तपस्या की एक अद्वितीय मिसाल है। उनका विग्रह समाज की भलाई के प्रति उनके दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज श्रीकोट आश्रम बलरामपुर में परम पूज्य संत गहिरा गुरु की धर्मपत्नी पूर्णिमा जी के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के विशेष अवसर पर यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि संत गहिरा गुरु जी ने घर पर रहते हुए भी समाज की सेवा की। उन्होंने सत्य, शांति, दया और क्षमा के सिद्धांतों को धर्म के मूल स्तंभों के रूप में स्थापित किया और गरीबों और असहायों की सेवा को अपना सर्वोच्च धर्म मान लिया। मुख्यमंत्री श्री साय ने संत गहिरा गुरु जी द्वारा आदिवासी समुदायों के विकास में दिए गए अनूठे योगदान की प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने इस पावन अवसर पर क्षेत्रवासियों को शुभकामनाएं दी और उनसे कहा कि वे माता पूर्णिमा जी और संत गहिरा गुरु जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारते हुए समाज को एक नई दिशा देने के लिए दृढ़ता से काम करें।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यहां आने पर मुझे माता का विग्रह देखने का सौभाग्य मिला; उनका जीवंत और सुंदर विग्रह देखकर ऐसा लगा मानो वह बोल उठे थे। श्री साय ने गहिरा गुरु जी का स्मरण करते हुए कहा कि वे आदिवासी समाज के एक बड़े संत थे, जिनके उपदेशों और कथनों से पूरे समाज ने सनातन धर्म का वास्तविक महत्त्व समझा। उनका कहना था कि गहिरा गुरु महाराज के उपदेशों से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास से पिछड़े हुए आदिवासी समुदाय के जीवन में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सुधार हुआ। श्री साय ने कहा कि मैं गहिरा गुरु समाज का आशीर्वाद पाने का सौभाग्य मिला। रायगढ़ के सांसद रहते हुए गहिरा गुरु महाराज के जन्मस्थान को अपनाने और उसे विकसित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज समाज उनके आदर्शों को मानकर आगे बढ़ रहा है। आदिवासी समाज लगातार विकसित हो रहा है और कई संस्कृत महाविद्यालय खुल रहे हैं। समारोह में बहुत से आदिवासी समाज के विशिष्ट लोग उपस्थित हुए।
For more news: Chhatisgarh