CM Yogi Adityanath ने गोरखपुर में भाषण दिया, “ज्ञानवापी साक्षात ‘विश्वनाथ’ हैं…, दुर्भाग्य से दूसरे शब्दों में उन्हें मस्जिद कहते हैं।

CM Yogi Adityanath ने कहा कि ज्ञानवापी को आज लोग मस्जिद कहते हैं, लेकिन यह साक्षात विश्वनाथ है। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अस्‍पृश्‍यता भारत के लिए एक अभिशाप है। यह देश की अखंडता और एकता के लिए सबसे बड़ी बाधा है।

CM Yogi Adityanath ने ज्ञानवापी विवाद पर एक बार फिर बोली। गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में नाथ पंथ पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि हालांकि आज लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पृश्यता देश की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ी बाधा है, साथ ही साधना के रास्ते में भी सबसे बड़ी बाधा है। यदि देशवासी इस बात को समझते तो देश गुलाम नहीं होता।

मुख्यमंत्री दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदुस्तानी एकेडमी उत्तर प्रदेश द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर तीन पुस्तकों और पत्रिकाओं का विमोचन भी किया। इनमें डॉ. पद्मजा सिंह की नाथपंथ पर लेख और महायोगी गुरु श्री गोरखनाथ शोध पीठ की पत्रिका ‘कुंडलिनी’ शामिल हैं। इसके अलावा एक दिव्यांगजन कैंटीन का उद्घाटन भी हुआ। इस कैंटीन का संचालन दिव्यांगजन ही करेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतों और ऋषियों की परंपरा को समाज और देश को जोड़ने वाली परंपरा बताते हुए आदि शंकर का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि केरल में जन्मे आदि शंकर ने देश भर में धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाओं की स्थापना की। जब आदि शंकर अद्वैत ज्ञान से भरे हुए काशी आए, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही। जब आदिशंकर ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान करने जाते हैं, तो वे अछूत वेश में खड़े होते हैं। स्‍वाभाविक रूप से आदि शंकर के मुंह निकलता है, ‘हटो, मेरे मार्ग से हटो।”तब वह (भगवान विश्वनाथ) सामने से एक सामान्य व्यक्ति से पूछता है कि क्या आप अपने आप को अद्वैत ज्ञान के मर्मज्ञ मानते हैं? आप किसको हटाना चाहते हैं। आपका ज्ञान क्‍या इस भौतिक काया को देख रहा है या इस भौतिक काया के अंदर छिपे हुए ब्रह्म को देख रहा है?

यदि ब्रह्म सत्य है, तो जो ब्रह्म आपके अंदर है, वही मेरे भी अंदर है। यदि आप इस ब्रह्मसत्य को जानकर उसे अस्वीकार कर रहे हैं, तो आपका यह ज्ञान सत्‍य नहीं है। आदि शंकर भौचक थे। उन्‍होंने पूछा कि आप कौन हैं। उस साधारण व्यक्ति ने कहा कि मैं विश्वनाथ हूं, जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए आप पैरों से चलकर यहां आए हैं। तब वह उनके सामने नतमस्तक होते हैं और समझते हैं कि भौतिक अस्पृश्यता साधना के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है, साथ ही देश की एकता और अखंडता के लिए भी। यदि देशवासी इस बात को समझते तो देश गुलाम नहीं होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से आज लोग उस ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन ज्ञानवापी असली विश्वनाथ हैं। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी भी मौजूद रहे।

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