CM Yogi Adityanath ने ‘अमर उजाला कृषिका: खेती से समृद्धि की ओर’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया
CM Yogi Adityanath ने प्रदेश के 11 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया
उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath ने कहा है कि कृषि तथा अन्नदाता किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। अन्नदाता किसानों की मेहनत तथा डबल इंजन सरकार के प्रयासों से प्रदेश की पहचान खाद्यान्न टोकरी के रूप में पुनर्स्थापित हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी यहां ‘अमर उजाला कृषिका: खेती से समृद्धि की ओर’ कार्यक्रम का उद्घाटन करने के पश्चात मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश के 11 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। प्रगतिशील किसानों ने मुख्यमंत्री जी से अपने अनुभव साझा किये तथा किसान हितैषी कार्याें के लिए उनके प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अमर उजाला समाचार पत्र ने अन्नदाता किसानों की समृद्धि से सम्बन्धित खेती-किसानी के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को कृषिका के रूप में प्रस्तुत किया है। हम इस धरती को माता कहते हैं। कृषिका शब्द से इसकी अनुभूति हो रही है। धरती माता से जीव सृष्टि के लिए जो कुछ प्राप्त होता है, वह कृषि और औद्यानिक फसलों से प्राप्त होता है। इस अर्थ में कृषिका शब्द अत्यन्त व्यवस्थित और सुन्दर अनुभूति कराने वाला नामकरण भी है।
भारत प्राचीन काल से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला देश माना जाता है। समय के अनुरूप शहरीकरण में वृद्धि हुई है। देश में सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में यदि 30 प्रतिशत शहरीकरण को छोड़ दें, तो आज भी 70 प्रतिशत भूभाग ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित है। यह आय तथा रोजगार का महत्वपूर्ण साधन भी है। राज्य में देश की 17 फीसदी आबादी निवास करती है। प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा है। इस भूमि पर उत्तर प्रदेश देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 20 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पन्न करता है। यह इसलिए सम्भव हो सका है, क्योंकि राज्य पर प्रकृति तथा परमात्मा की असीम कृपा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 06 कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं। सातवां कृषि विश्वविद्यालय स्थापित होने जा रहा है। यहां 89 कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जिनमें से 79 काम कर रहे हैं। 10 कृषि विज्ञान केन्द्र निर्माणाधीन हैं। यह केंद्र किसानों को नई प्रौद्योगिकी तकनीक तथा बीज आदि के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों के उत्पादन को खेत से लेकर बाजार तक पहुंचाने के सभी कार्यक्रमों में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। अन्नदाता किसान तब लाभान्वित होगा जब उसकी लागत कम होगी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी। जब हम किसानों को तकनीक से जोड़ेंगे तथा मौसम की स्थिति के बारे में समय से जानकारी देंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में लगभग 235 लाख हेक्टेयर भूमि में से 161 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती किसानी का काम किया जाता है। इसमें 86 फीसदी भूमि सिंचित तथा अत्यन्त उर्वरा भूमि है। प्रदेश में जितनी उर्वरा भूमि तथा जल संसाधन है, दुनिया में अन्यत्र इस प्रकार की सुविधा कहीं नहीं है। हम यदि अन्नदाता किसानों के प्रोत्साहन के लिए थोड़ा सा कार्य करें, उन्हें तकनीक से जोड़ें, समय पर अच्छे बीज उपलब्ध करायें, तो देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में प्रदेश की भागीदारी 20 प्रतिशत से बढ़ाकर इसकी तीन गुना की जा सकती है। जिससे अकेला उत्तर प्रदेश ही देश तथा दुनिया का पेट भर सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के बाद किसानों के नाम पर राजनीति बहुत से लोगों ने की। लेकिन किसानों को ईमानदारी के साथ भारत के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बनाने का काम वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया। प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि हम अपने स्वास्थ्य का परीक्षण कराते हैं। शरीर में किसी आवश्यक तत्व की कमी होने पर उसकी पूर्ति डाइट अथवा दवा के माध्यम से करते हैं। जिससे हम स्वस्थ बने रहे तथा हमारा शरीर निरोगी रहे। लेकिन जो धरती माता हमारा पेट भरती है। हमें फूलने तथा फलने का अवसर प्रदान करती है। उसके स्वास्थ्य के बारे में भी चिंता करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री जी द्वारा वर्ष 2014 में व्यापक पैमाने पर निःशुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराए गए। इसके अनुसार किसान खेती के लिए आवश्यक खाद, फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड तथा केमिकल आदि का चुनाव कर सकता है। प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी अनेक योजनाएं चलाईं गईं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में विगत 07 वर्षों में 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा देकर अन्नदाता किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाया गया है। वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री जी के कर कमलों द्वारा बुन्देलखण्ड में अर्जुन सहायक परियोजना का लोकार्पण किया गया। इसके 02 वर्ष पश्चात जब बुन्देलखण्ड के किसानों से संवाद बनाया तो पता चला कि अर्जुन सहायक परियोजना से लाभान्वित बुन्देलखण्ड के इन जनपदों में किसानों को प्रति बीघा कृषि से 50 हजार रुपए तक की आमदनी हुई। इससे पूर्व प्रति बीघा खेती पर 05 हजार रुपये वार्षिक प्राप्त होते थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार द्वारा किसानों को थोड़ा सा प्रोत्साहित करने पर आमदनी में कितनी अधिक वृद्धि हो सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के किसानों को अच्छे बीज का चयन करने के साथ-साथ स्वयं को तकनीक से भी जोड़ना होगा। अन्नदाता किसानों को पी0एम0 कुसुम योजना के अन्तर्गत सोलर पैनल उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत निःशुल्क बिजली के माध्यम से सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की जा सकती है। राज्य के 14 लाख से अधिक किसानों के निजी नलकूपों की बिजली माफ की गई। वह भी सिंचाई के लिए निःशुल्क जल प्राप्त कर रहे हैं। राज्य में वर्ष 2017 में 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ करने के पश्चात अनेक कार्यक्रम आगे बढ़ाए गए। हमने प्रोक्योरमेंट की नीति लागू की।
राज्य में पहली बार किसानों को सफलतापूर्वक लागत का डेढ़ गुना दाम उपलब्ध कराने का कार्य प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। अन्नदाता किसान लगातार एम0एस0पी0 से अधिक दाम प्राप्त कर रहे हैं। किसानों को यदि बाजार में एम0एस0पी0 से अधिक कीमत प्राप्त हो रही है, तो उसे बाजार में अपने उत्पाद को बेचने की स्वतंत्रता है। इसके लिए जगह-जगह क्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं। धान, गेहूं, दलहन, तिलहन, मिलेट्स तथा मक्का आदि की बिक्री के लिए सरकार ने व्यापक पैमाने पर सुविधा उपलब्ध कराई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में व्यापक पैमाने पर कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया गया है। वर्तमान में 3,500 से अधिक कृषक उत्पादक संगठन प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। राज्य में वेयर हाउसों का निर्माण किया गया तथा उनकी संख्या बढ़ाई गई। कृषि कार्य को और अधिक सरल बनाने तथा एक ही समय में खेती के बड़े क्षेत्रफल को पेस्टिसाइड आदि के छिड़काव से आच्छादित करने हेतु प्रदेश में बड़ी संख्या में लखपति दीदियों को ड्रोन दीदी के रूप में तैनात किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले गन्ने का सीजन आने पर प्रदेश के किसान आंदोलन करने को मजबूर होते थे। वर्तमान में प्रदेश में 120 चीनी मिलें चल रही हैं। इनमें से सौ चीनीमिलों में एक सप्ताह के अंदर गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा रहा है। ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन आज हो रहा है। इस कार्य को डबल इंजन सरकार कर रही है। जो राज्य गन्ना उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुंच गया था। आज फिर से गन्ना, चीनी तथा इथेनॉल उत्पादन में नम्बर एक पर पहुंच गया है। राज्य का किसान आज देश का 25 फीसदी आलू उत्पादन कर रहा है। देश के 30 प्रतिशत मक्के का उत्पादन प्रदेश में होता है। राज्य में धान, गेहूं, दलहन तथा तिलहन के उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खेती किसानी में व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता अधिक होती है। कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख स्वयं किसान हैं। वह धान, गेहूं, गन्ने तथा औद्यानिक फसलों की खेती स्वयं करते हैं। वह रुचि होने के कारण कृषि कार्य से जुड़े हुए हैं। अन्य लोगों को भी इससे प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सर्वाधिक गोवंश पालने वाला राज्य है। 12 लाख से अधिक निराश्रित गोवंश राज्य की गौशालाओं में हैं। प्रदेश सरकार गोवंश के लिए तीन प्रकार की योजनाएं चला रही है। निराश्रित गोआश्रय स्थल पर गोवंश की देखभाल केयरटेकर के माध्यम से सरकार स्वयं करती है।
सहभागिता योजना के अन्तर्गत हर किसान को निराश्रित गोआश्रय स्थल से चार गोवंश अपने पास रखने की छूट दी गयी है। वह उनकी देखभाल करे। दूध एवं अन्य सामग्रियों का उपयोग करे। हम प्रति गोवंश उसको 1,500 रुपये प्रतिमाह प्रदान करेंगे। लगभग 01 लाख किसान इस प्रकार के गोवंश रख रहे हैं। कुपोषित मां तथा बच्चे को सुपोषित करने के लिए निराश्रित गो-आश्रय स्थल से दूध देने वाली एक गाय उपलब्ध कराई जाती है। राज्य सरकार गोपालन के लिए 1500 रुपए हर महीने उस परिवार को उपलब्ध कराती है। ऐसे गोवंश 10 हजार परिवारों तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक पक्ष गो संरक्षण का है, तो दूसरा पक्ष जहर मुक्त खेती के लिए किए जाने वाले प्रयासों का है। प्रदेश में भारत सरकार तथा राज्य सरकार मिलकर 01 लाख 15 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रही है। अब लोगों को समझ आ चुका है कि यदि मनुष्य को कैंसर तथा हृदय रोग जैसी बीमारियों से बचाना है तो हमें कीटनाशक तथा रसायन मुक्त खेती की ओर जाना पड़ेगा। प्रदेश में गंगा तट पर स्थित 27 जनपदों तथा बुन्देलखण्ड के सात जनपदों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आज आपके बीच में नेचुरल फार्मिंग के एक अच्छे एक्सपर्ट गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्ता हैं। यह गो भक्त होने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को कीटनाशक और रसायनों के जहर से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती के बारे में लोगों को व्यापक पैमाने पर जागरूक करने का काम कर रहे हैं। इनके जीवन का यही संकल्प है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज उन्होंने अमर उजाला द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में जीवामृत व घनामृत जैसे उत्पादों के प्रदर्शन के साथ साथ प्राकृतिक खेती के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन के तरीकों को प्रदर्शित किया गया है। प्राकृ तिक खेती में थोड़ा प्रयास करना पड़ता है, लेकिन प्रति एकड़ उत्पादन अच्छा होता है। यदि पेस्टिसाइड तथा रसायनों से खेती की तुलना करें तो किसानों की प्रति एकड़ 10 हजार से 12 हजार रुपये की बचत होती है। आपके द्वारा उत्पादित अन्न न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है बल्कि केमिकल, फर्टिलाइजर्स और पेस्टिसाइड के विषैले जहर से हमें छुटकारा प्राप्त होता है। जो जहर कीड़ों को मारता है, उसका दुष्प्रभाव सबसे पहले छिड़काव करने वाले व्यक्ति पर होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो प्रयास यहां आए हुए हमारे कुछ अन्नदाता किसानों ने किया है, अन्य किसानों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। प्रदेश में 235 लाख हेक्टेयर में से 161 लाख हेक्टेयर खेती को यदि हम प्राकृतिक खेती के रूप में प्रतिस्थापित कर देते हैं तो गो माता की रक्षा होने के साथ-साथ हम देश को अच्छा खाद्यान्न भी दे पाएंगे। हम लाखों करोड़ों रुपये की बचत करने में भी सफल होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राकृतिक खेती की दृष्टि से आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने अच्छा कार्य किया है। राज्य के सभी 09 क्लाइमेटिक जोन में कुछ सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने के बारे में कृषि विज्ञान केन्द्रों से कहा गया है। वहां पर कुछ नयापन होना चाहिए। जहां बहुत कुछ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह विगत दिनों बिजनौर भ्रमण पर गए थे, जहां उन्हें कुछ किसानों ने बताया कि 10 एकड़ mखेती में 01 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त करते हैं। प्रदेश के किसान 86 टन गन्ना प्रति एकड़ उत्पादित कर रहे हैं। एक किसान अन्य किसानों से 200 करोड़ रुपये का पिपरमेंट एकत्रित कर निर्यात कर रहा है।
यदि आप औद्यानिक खेती करेंगे तथा निर्यात के लिए किस प्रकार का उत्पाद चाहिए, इस बारे में प्रशिक्षण प्राप्त कर लेंगे तो आप अच्छी आय प्राप्त कर सकेंगे। सरकार इस कार्य में सहयोग कर रही है। अमेरिका तथा यूरोप में 01 किलो आम का दाम लगभग 01 हजार
रुपये है। अभी यहां एक किसान बता रहा था कि वह हरी मिर्च का उत्पादन इसलिए क रहा है, क्योंकि यूरोप में पेस्टिसाइड तथा केमिकल मुक्त हरी मिर्च की अधिक मांग है। यदि हम गो माता के गोमूत्र तथा गोबर से जीवामृत बनाकर प्राकृतिक खेती करेंगे तो हम गो माता तथा धरती माता की रक्षा करने का काम करेंगे। कृषिका का भी यही उद्देश्य है। किसान की आमदनी बढ़ानी है तथा धरती माता के स्वास्थ्य को बनाए रखना है। यदि धरती माता सुरक्षित रहेगी, तो हम भी सुरक्षित रहेंगे। धरती माता स्वस्थ रहेगी, तो हम भी स्वस्थ रहेंगे। यही तो हमारे वेदों का उद्घोष है कि ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ अर्थात् पृथ्वी हमारी माता है, हम पृथ्वी के पुत्र हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अमर उजाला रचनात्मक कार्यों के लिए अनेक अभियान चलाता है। कृषि के लिए भी अनेक अभियान चला रहा है। प्रत्येक वर्ष प्रदेश के मेधावी छात्रों को स्वर्गीय अतुल महेश्वरी छात्रवृत्ति योजना से भव्य तरीके से जोड़ा जाता है। इससे पता चलता है कि हम केवल पत्रकारिता नहीं कर रहे हैं। दूसरों की कमियों को उजागर नहीं कर रहे हैं। बल्कि समाज की प्रगति में सहभागी बनकर जीवंत पत्रकारिता को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। लोकतंत्र में सब की भूमिका होती है, लेकिन यदि सभी लोग एक साथ मिलकर देश तथा समाज के लिए कार्य करेंगे तो परिणाम और भी अच्छे प्राप्त हो सकते हैं। अमर उजाला की यह पहल अत्यंत सराहनीय है। कृषिका के इस कार्यक्रम में कृषि तथा किसान के बारे में अनेक एक्सपर्ट अपने विचार साझा करेंगे। जिस अन्नदाता किसान को सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री जी ने देश के 12 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के साथ जोड़ा है। प्रदेश में भी 02 करोड़ 62 लाख किसान सीधे-सीधे इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। वह 06 हजार रुपये सालाना प्राप्त कर रहे हैं। सरकार का प्रयास है कि अन्नदाता किसान को किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े।
इस अवसर पर पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह, कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति डॉ0 बिजेंद्र सिंह, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति डॉ0 आनंद कुमार सिंह, महानिदेशक उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद डॉ0 संजय सिंह, उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्ता, अमर उजाला के संपादक श्री विजय त्रिपाठी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर, कृषकगण तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
source: http://up.gov.in