69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती में कथित धांधली का मुद्दा उठाया गया है। अब CM Yogi आदित्यनाथ ने सीएम आवास पर बैठक शुरू की है। इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय होने की उम्मीद है।
CM Yogi: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में कथित धांधली का मुद्दा उठाया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार को तीन महीने के अंदर शिक्षक भर्ती परीक्षा की मेरिट लिस्ट को पुनः प्रकाशित करने का आदेश दिया है। कोर्ट की इस निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर बहस शुरू हो गई है। योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे पर CM आवास पर बैठक की। इस बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही आरक्षण सुविधा का लाभ मिलना चाहिए और किसी भी अभ्यर्थी को अन्याय नहीं होना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय क्या था?
ध्यान दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जून 2020 में प्रकाशित शिक्षक भर्ती परीक्षा की चयन सूची को खारिज करके एक नई सूची बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश से यूपी सरकार को झटका लगा ही है, साथ ही नई चयन सूची बनाने से पिछले चार वर्षों से काम कर रहे हजारों शिक्षकों की नौकरी जा सकती है। कोर्ट ने आदेश दिया कि फिलहाल कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ने पर मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाए ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई पर बुरा असर न पड़े।
केशव प्रसाद मौर्या ने क्या कहा?
बता दें कि 69000 सहायक निरीक्षक पदों के लिए अनारक्षित कटऑफ 67.11% और ओबीसी कटऑफ 66.73% था। इस नियुक्ति से लगभग 68 हजार लोगों को काम मिला है। इस मामले पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हाई कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है। सरकार पूरे आदेश की समीक्षा करने के बाद ही कोई निर्णय लेगी। केशव मौर्य ने कहा कि अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के लिए ये प्रयास जारी रहेंगे।