Delhi में प्रदूषण: बीजेपी ने कहा कि केजरीवाल सरकार की ऑड-ईवन घोषणा इससे कम नहीं होगी प्रदूषण।
बीजेपी ने कहा कि केजरीवाल सरकार की ऑड-ईवन घोषणा इससे कम नहीं होगी प्रदूषण
दिल्ली: दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने ऑड-ईवन को लागू करने की मांग की है। सचदेवा कहते हैं कि ऑड-ईवन सिर्फ आम आदमी पार्टी सरकार का प्रचार कार्यक्रम है। यह कहा जाता है कि ऑड-ईवन पॉल्यूशन कम करता है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। दिल्ली सरकार ने पहले भी यह स्कीम लागू की थी, लेकिन इससे पॉल्यूशन कम नहीं हुआ था।
करियर की समस्या, या हो शादी की चिंता, बस एक कॉल में मिलेगा संपूर्ण निदान कमियों पर पर्दा डाल रही केजरीवाल सरकार सचदेवा के अनुसार, दिल्ली सरकार के लिए ऑड-ईवन योजना सिर्फ अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए है। पिछले आठ से नौ वर्षों में सरकार ने शोर कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। यह हाल ही नहीं होता अगर सरकार पॉल्यूशन नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम उठाती। पंजाब में हर दिन पराली जलाने की हजारों घटनाएं होती हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार उन्हें रोक नहीं पाती है।
पंजाब से आ रही पराली
उनका दावा था कि रविवार रात पंजाब में 3,200 पराली जलने की घटनाएं हुईं। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि होने पर दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल 400 या 500 तक जाता है। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से पॉल्यूशन लेवल 400 से अधिक है। दिल्ली सरकार की एंटी स्मॉग गन और स्प्रिंकलर्स किसी रोड पर नहीं दिख रहे हैं। दिल्ली में पॉल्यूशन की कमी को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास स्मॉग गन और स्प्रिंकलर्स की कीमत नहीं है।
दिल्ली में जहरीली हवा की इमरजेंसी अभी भी चल रही है, तो दिवाली के बाद ऑड-ईवन क्यों लागू कर रहे हैं?
सचदेवा ने कहा कि अब दिल्ली सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर दोष मढ़ रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रदूषण पर दो हफ्ते पहले एक बैठक बुलाई थी। दिल्ली और पंजाब सरकारों के प्रतिनिधियों ने इसमें कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। केंद्रीय सरकार ने ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए 3,333 करोड़ रुपये भी खर्च किए हैं। हरियाणा में तो 90% पराली जलने की घटनाओं पर रोक लगा दी गई है। लेकिन पंजाब में अभी तक पराली जलाने की घटनाएं नहीं रोकी गई हैं।
Delhi बीजेपी प्रदेश मंत्री हरीश खुराना ने भी ऑड-ईवन पर दिल्ली सरकार को घेरा। उनका दावा है कि इस योजना पर अबतक सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। लेकिन इससे कोई लाभ नहीं हुआ।