Delhi Air Pollution
Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा में प्रदूषण का धुआं बहुत अधिक है। जो आपकी सेहत के लिए बहुत खराब हो गया है। राजधानी में दस से पंद्रह सिगरेट जितना धुआं भी सांस के साथ पीते हैं। हाल ही में इस प्रदूषण पर हुई एक अध्ययन ने आपको हैरान करने वाला खुलासा किया है।
Delhi Air Pollution: सल्फर, जिंक, बेंजीन दिल्ली में हैवी मेटल्स, सांस और दिल के मरीजों के लिए अधिक खतरा
दिल्ली: राजधानी की हवा इतनी जहरीली है कि नॉन स्मोकर भी दिन में दस से पंद्रह सिगरेट की तुलना में अधिक धुआं inhale करते हैं। IIST दिल्ली ने एक अध्ययन में पाया कि दिल्ली में उड़ रही धूल में जिंक, कॉपर, क्रोम, निकेल और मैंगनीज आयरन जैसे हानिकारक पदार्थ पाए गए हैं। वहीं, एम्स की एक अध्ययन ने पाया कि किडनी कैंसर के मरीजों में सामान्य लोगों की तुलना में आर्सेनिक, कॉपर, मैंगनीज, सेलेनियम, कैडमियम, लेड और मरकरी जैसे भारी पदार्थों की मात्रा अधिक थी। इसकी वजह भोजन और दिल्ली की हवा हो सकती है।
हैवी मैटर्स धूल में हैं: आईआईटी दिल्ली ने राजधानी के नौ जिलों में उड़ रही धूल में हैवी मैटर्स के स्तर का अध्ययन किया। इस अध्ययन को एम्स के एनाटॉमी और यूरोलॉजी विभाग ने अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल यूरोलोजिक आंकोलॉजी में प्रकाशित किया है। स्टडी में किडनी के कैंसर से पीड़ित 76 और 67 व्यक्ति शामिल थे। दोनों समूहों को तुलनात्मक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में पाया गया कि किडनी कैंसर से पीड़ित 43% लोगों के ब्लड में एक या इससे अधिक तीव्र मेटल्स थे, जो नॉर्मल लोगों से कहीं अधिक थे; हालांकि, इस अध्ययन ने यह भी पाया कि नॉर्मल लोगों में 15% में भी तीव्र मेटल्स का लेवल अधिक था।
किडनी कैंसर से पीड़ित लोगों के यूरिन में भी अधिक सेलेनियम और मैंगनीज पाया गया। यूरिन में मर्करी, आर्सेनिक, कॉपर, कैडमियम और लेड की मात्रा भी थोड़ा अधिक थी। स्टडी ने पाया कि हेवी मेटल्स और किडनी कैंसर में संबंध है, जो कैंसर का कारण हो सकता है।
डॉ. अंशुमान कुमार, एक कैंसर विशेषज्ञ, ने बताया कि हवा के जरिए हेवी मेटल्स शरीर में आते हैं और भोजन से भी। जब आप आर्सेनिक का उपयोग करते हैं, तो आपके दांत या नाखून काले होने लगते हैं। यह इतना खतरनाक है कि बोन मैरो क्षतिग्रस्त हो जाता है। एनीमिया, ब्लड कैंसर का शिकार होता है।
हम इस तथ्य को नकार नहीं सकते, एम्स के पूर्व कैंसर विशेषज्ञ पी के जुल्का ने कहा। आंखों में जलन, गॉल ब्लैडर की समस्या, कैंसर आदि। डॉक्टर ने कहा कि शरीर में अधिक लेड होने से लिवर टॉक्सिस होता है। मरकरी प्रत्येक नर्व, स्पाइन और ब्रेन को प्रभावित कर सकती है। डॉक्टर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मैग्नीशियम अकेले कुछ नहीं करता, लेकिन कैल्शियम के साथ मिलकर ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। हृदय के ब्लड वेसेल्स को ब्लॉक करता है।
शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ने पर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनता है। इसकी हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन कैरी करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। मरीज सांस और लंग्स से पीड़ित है। वहीं, वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOC) फैलते हैं। इन्फ्लामेशन इससे होता है। मरीज के ब्रेन और दिल में क्लॉट बनता है। डॉक्टर ने कहा कि हेवी मेटल्स से बचना सबसे अच्छा उपाय है।