दिल्ली कांग्रेस ने दावा किया कि ‘मेयर चाहें तो स्टैंडिंग कमेटी का मसला हल हो सकता है’, जो आपके स्टैंडिंग कमेटी को लेकर आपकी नीयत में खोट है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एमसीडी विशेष सत्र को लेकर आप पर हमला बोला है। जितेन्द्र कुमार कोचर, निगम के पूर्व नेता, ने कहा कि दिल्ली की जनता से चुनाव से पहले किए गए वायदों को पूरा करने में आम आदमी पार्टी पूरी तरह से असफल रही है। उन्हें लगता था कि अगर सत्ताधारी दल एक वर्ष में स्थायी समिति का गठन नहीं कर सका तो सदन को स्थायी समिति के सभी अधिकार देने चाहिए। आम आदमी पार्टी पहले ही मेयर की अनुमति से आयुक्त द्वारा निगम का बजट प्रस्तुत करने की अलोकतांत्रिक अनियमितता का सामना कर चुकी है।
स्थायी समिति का गठन नहीं होने के कारण पच्चीस से अधिक ले-आउट प्लान लंबित पड़े हैं, उन्होंने कहा। नगर निगम में स्थायी समिति सर्वोच्च समिति है, और अधिकांश स्थायी समिति से सभी वित्तीय मंजूरी ली जाती है। सिर्फ स्थायी समिति को 5 करोड़ रुपये से अधिक की निविदा में एजेंसी चुनने का अधिकार है। दिल्ली में जनता से जुड़े काम स्थगित हो गए हैं क्योंकि स्थायी समिति नहीं बनाई गई है। इतना ही नहीं, पुनर्वास कालोनियों, जेजे कलस्टरों और दिल्ली की कालोनियों में विकास कार्य ठप्प पड़े हैं।
मेयर-निगमायुक्त इन अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते
एमसीडी में कांग्रेस दल की नेता नाजिया दानिश ने कहा कि आम आदमी पार्टी को स्थायी समिति बनाने की इच्छा नहीं है। मेयर 20 से 25 दिनों में स्थायी समिति बना सकते हैं। स्थायी समिति, निगमायुक्त और मेयर की अलग-अलग शक्तियां संसद द्वारा पारित निगम अधिनियम के अनुच्छेद 44 में स्पष्ट हैं। महापौर या निगमायुक्त स्थायी समिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकता।
एमसीडी के विकास कार्य ठप पड़े हैं
स्थायी समिति का गठन नहीं होने से दिल्ली नगर निगम के कई काम और प्रस्ताव लंबित पड़े हैं, उन्होंने कहा। साथ ही, वार्ड और जोन कमेटियों का गठन नहीं हुआ है, इसलिए लोगों को परेशानी हो रही है। कांग्रेस के पार्षदों ने मेयर से कहा है कि सदन को स्थायी समिति बनाने तक अधिकार दे दें।