Delhi Pollution: क्या प्रदूषण डेटा विश्वसनीय है?
दिल्ली की हवा में मौजूद प्रदूषण ने सांस लेना कठिन बना दिया है। राजधानी के सभी एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन उसके बाद भी काम नहीं कर रहे हैं। हालाँकि, पिछले बुधवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सिर्फ एयर बुलेटिन को बदल दिया था। बुधवार को चार बजे जारी हुए बुलेटिन में दिल्ली का AQI 31 स्टेशनों पर 401 बताया गया।
Delhi Pollution: डेटा पर कितना भरोसा करें
दिल्ली: नवंबर की शुरुआत से ही दिल्ली की हवा में सांस लेना कठिन हो गया था। फिर भी नवंबर वर्ष का सबसे प्रदूषित महीना है, सभी एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन काम नहीं कर रहे हैं। नवंबर के अधिकांश दिनों में, AQI 87 प्रतिशत मॉनिटरिंग स्टेशनों पर आधारित था। कुछ समय तक, सिर्फ 77 प्रतिशत स्टेशन का डेटा AQI में था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बुधवार को ही वायु बुलेटिन को बदल दिया। दिल्ली का AQI 31 स्टेशनों के आधार पर 401 बुधवार को चार बजे जारी हुए बुलेटिन में बताया गया था।
देर रात इसे फिर से बनाया गया, इसमें 35 स्टेशन जोड़े गए और इसे 398 बताया गया। AQI सिस्टम में तीन दिनों से खामियां नजर आ रही हैं। Experts इस पर सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि कम से कम दो या तीन स्टेशन से AQI बदल सकते हैं। तीन अंकों की कमी से प्रदूषण की श्रेणी ही बदल गई। CPCB ने बताया कि 15 नवंबर को AQI की गणना में कमी आई थी। पहले रिलीज़ किए गए AQI में 35 में से चार ऑपरेटिंग स्टेशन का डेटा नहीं था।
एजेंसियों पर उठ रहे सवाल: सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के एनालिस्ट सुनील दहिया ने कहा कि सभी चालिस स्टेशन हर समय काम करना आवश्यक नहीं है, लेकिन हर रोज 35 या कम डेटा आने पर चिंता होती है। एजेंसियों पर सवाल उठ रहे हैं कि वे स्टेशनों को ठीक से नहीं देख रहे हैं। AQI भी हमला कर सकता है। वहीं, एनसीआर के बहुत से शहरों में सिर्फ एक या दो स्टेशन हैं।
CSE (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) ने भी डेटा पर सवाल उठाए हैं। गुरुग्राम के एयर क्वॉलिटी स्टेशन पर सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त environmental protection and control authority (EPACA) ने आरोप लगाया कि स्टेशन के आसपास प्रदूषण को कम करने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है। EPAC खत्म हो गया है।