High Court’s tough stance on drugs: हरियाणा-पंजाब में नशाखोरी ने महामारी का रूप लिया, तस्कर युवा पीढ़ी को मार डालते हैं

High Court’s tough stance on drugs: नशा तस्करी से जुड़े एक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कड़ी टिप्पणी की। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि युवा नशे के सौदागरों के शिकार बन रहे हैं और अब यह कारोबार महामारी का रूप ले लिया है। एक व्यक्ति एक या दो लोगों को मार डालता है, लेकिन नशे के सौदागर पीढ़ियों को बर्बाद कर रहे हैं और युवा पीढ़ी को मार डालते हैं।

कैथल निवासी संदीप सिंह ने 21 नवंबर 2023 को एनडीपीएस मामले में दर्ज एफआईआर में अग्रिम जमानत की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याची ने दावा किया कि वह न तो नशीली सामग्री की रिकवरी कर चुका था और न ही मौके पर था। एफआईआर में याची का नाम केवल सह आरोपियों के बयान पर जोड़ा गया है।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में बड़ी मात्रा में 15 क्विंटल चूरा पोस्त और डोडा पोस्त बरामद हुए हैं। सह आरोपियों ने याची को दो क्विंटल नशीली सामग्री देनी थी। ऐसे में, याची यह दावा करने से बच नहीं सकता कि उसकी कोई रिकवरी नहीं हुई है। याची ने चार दर्जन बार फोन पर सह आरोपियों से बातचीत की है, जो दोनों के बीच संपर्क को दर्शाता है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों की व्यापक जांच आवश्यक है, इसलिए याची को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों में नशीली दवाओं का खतरा बहुत बढ़ गया है और बहुत से युवा इन माफियाओं के हाथों शिकार हो रहे हैं। नशीले पदार्थों की गुप्त तस्करी ने जनता का एक बड़ा हिस्सा नशीला बना दिया है।

नशीली दवाओं का कारोबार करने वाले लोग कई निर्दोष युवाओं को मार डालते हैं और पीढ़ियों को बर्बाद करते हैं, लेकिन हत्या के मामले में आरोपी एक या दो लोगों को मार डालता है। वर्तमान समय में, नशीली दवाओं की तस्करी और उपयोग एक महामारी का रूप धारण कर लिया है, जो राज्य की आर्थिक नीतियों सहित समाज को भी बीमार और भ्रष्ट करता है। इन टिप्पणियों के साथ, हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। Read more

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