ज्येष्ठ पूर्णिमा: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अवश्य चढ़़ाएं ये सामाग्री, चमक उठेगी आपकी किस्मत

ज्येष्ठ पूर्णिमा: साढ़ेसाती से चाहते हैं मुक्ति तो ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अवश्य चढ़़ाएं ये सामाग्री

ज्योतिषाचार्य आदित्य झा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्रदेव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि की साढे़साती चल रही है, तो इस दिन शनिदेव की पूजा करने से विशेष लाभ होता है।

शनिदेव को तिल अत्यंत प्रिय हैं। उनके ऊपर तिल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। उनके ऊपर तिल चढ़ाने से कई जन्मों के पापों का नाश होता है। वहीं शनि की दशा या साढ़े साती के दौरान शनिदेव को तिल चढ़ाने से पीड़ा कम होती है। कुंडली में ग्रहों की शांति के लिए भी शनिदेव को तिल चढ़ाए जाते हैं। वहीं ज्येष्ठ पूर्णमा के दिन खासकर तिल चढ़ाने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सरसों के तेल में नकारात्मक ऊर्जा को सोखने की क्षमता होती है। शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने से मानसिक शांति मिलती है। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है, तो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शनिदेव को सरसो तेल चढ़ाने से लाभ हो सकता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन शनिदेव को शमी के फूल चढ़ाने से व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। शनिदेव को शमी के फूल चढ़ाने से धन लाभ होता है। शनिदेव को शमी के फूल चढ़ाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। शनिदेव को शमी के फूल चढ़ाने से नौकरी और व्यवसाय में सफलता प्राप्त हो सकती है।

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