Income Tax Return: ज्यादातर युवा लोगों को फॉर्म-16 क्या है और इसमें क्या काम आता है पता नहीं है। पुराने लोग अक्सर इसे गंभीरता से नहीं लेते। Form-16 Income Tax Return (ITR) भरने में महत्वपूर्ण है। जिस कंपनी में आप काम करते हैं, वह आपको फॉर्म-16 प्रदान करती है। 15 जून तक सभी एम्प्लॉई को फॉर्म-16 मिलेगा। टैक्स बचाने की एक योजना बनाने में यह फॉर्म आपकी मदद कर सकता है। यानी आप इसकी मदद लेकर इनकम टैक्स से अधिक पैसे बच सकते हैं। इतना ही नहीं, यह प्रक्रिया टैक्सेबल ब्रैकेट से बाहर के लोगों को इनकम टैक्स से रिफंड करने में भी काम करती है।
फॉर्म-16 क्या है और यह कैसे प्राप्त किया जाता है?
फॉर्म-16 में एम्प्लॉई द्वारा मांगे गए एग्जेम्पशन और डिडक्शन का उल्लेख है। यही नहीं, इसमें कर्मचारी की सैलरी पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) का विवरण भी है। कंपनी को इनकम टैक्स अधिनियम के सेक्शन 203 के तहत फॉर्म-16 जारी करना होगा। ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने पर फार्म-16 में दी गई जानकारी को आईटीआर फॉर्म के पूर्वभूमि डेटा से जोड़ना होगा। ऑफलाइन मोड में फॉर्म-16 से जानकारी लेकर आईटीआर फॉर्म भरें।
फॉर्म-16 क्या बताता है?
फॉर्म-16 में दो भाग हैं। पार्ट-ए और भाग-बी। Part-A में कर्मचारी का नाम, पता और पैन के साथ कर्मचारी का टैन नंबर है। कर्मचारी को मिलने वाली सैलरी और टीडीएस का विवरण शामिल है। TDS, यानी राजस्व, सरकार को दिया जाता है। फॉर्म-16 के भाग-बी में सैलरी, एग्जम्प्शन, डिडक्शंस और टैक्स की पूरी जानकारी दी गई है। इसमें ग्रॉस सैलरी, एग्जम्पट अलाउंस (जैसे HRA), डिडक्शन (जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन) के विवरण, चैप्टर 6ए में आने वाले डिडक्शन (जैसे 80C और 80D) और कर विवरण शामिल हैं।
किन मामलों में आप रिफंड मांग सकते हैं?
एम्प्लॉई के कुछ उत्पादन अक्सर फॉर्म-16 में नहीं दिखाई देते। इससे उनका टीडीएस कम हो जाता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि एम्प्लॉई या तो डिडक्शन की जानकारी देना भूल जाते हैं या फिर इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करने के बाद इन्वेस्ट करते हैं। इस तरह की निवेश की जानकारी फॉर्म-16 में मेंशन नहीं हो सकती। ऐसे में इन निवेशों पर लाभ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय प्राप्त किया जा सकता है। यदि आप टैक्सेबल ब्रैकेट में नहीं हैं और टीडीएस का भुगतान कर रहे हैं, तो आप फॉर्म-16 के आधार पर आयकर विभाग से रिफंड मांग सकते हैं।
फॉर्म-16 में किन विवरणों की जाँच करें?
इससे बचने के लिए, फॉर्म 16 प्राप्त करने के बाद पहले अपना पैन नंबर पता लगाना चाहिए। यदि फॉर्म-16 में पैन संख्या गलत है, तो आपकी सैलरी से काटा गया टैक्स, यानी टीडीएस, फॉर्म 26A में नहीं दिखेगा। ऐसे में आप आयकर रिटर्न फाइल करते समय टीडीएस क्लेम नहीं कर पाएंगे। फॉर्म-16 की दूसरी बात यह है कि आपने एम्प्लॉयर के सामने जो अलाउंस एग्जेम्पशन की मांग की है, वह सभी फॉर्म-16 में सही-सही रिपोर्ट की गई है।