भारत-अमेरिका सैन्य समझौता: ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में हथियारों का दिया प्रस्ताव, जिससे रक्षा क्षेत्र में हड़कंप
भारत-अमेरिका सैन्य समझौता: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर पहली बार बातचीत हुई। उस समय, ट्रंप ने भारत को ऐसे हथियारों का प्रस्ताव दिया, जो रक्षा क्षेत्र को हिला सकता है।
भारत-अमेरिका सैन्य समझौता: प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फोन पर बातचीत की। यह पहली बातचीत थी जो दोनों नेताओं ने ट्रंप के सत्ता में आने के बाद की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने टेक्नोलॉजी, बिजनेस, निवेश, ऊर्जा और सुरक्षा क्षेत्रों में अपने देशों के आगे बढ़ने पर चर्चा की। राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में सुरक्षा क्षेत्र पर अधिक जोर दिया। Trump ने कहा कि वह चाहता है कि भारत अमेरिका से अधिक हथियार खरीद ले। हाल ही में भारत सबसे अधिक हथियार रूस से खरीदता है, लेकिन रूस पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए भारत अब अन्य देशों के साथ रक्षा सौदे कर रहा है। अमेरिका जानता है कि भारत रूस को छोड़कर उसके साथ सैन्य उपकरण खरीदना चाहता है।
साथ ही, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में व्यापारिक विदेश नीति पर जोर दिया, जिसमें अमेरिकी रक्षा निर्यात को प्राथमिकता दी गई और भारत जैसे बड़े देशों के साथ द्विपक्षीय सैन्य समझौते किए गए।
भारत कैसे रूसी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बन गया?
भारत ने 1962 में चीन से युद्ध के बाद सोवियत संघ की ओर देखना शुरू किया था। 90 के दशक तक सोवियत संघ ने भारतीय सेना का लगभग 70%, एयर फोर्स का 80% और नौसेना का 85% हथियार लिया था। 2004 में भारत ने रूस से अपना पहला एयरक्राफ्ट कैरिएर INS विक्रमादित्य खरीद लिया। इस एयरक्राफ्ट कैरिएर ने पहले सोवियत संघ और फिर रूसी नौसेना में काम किया।
फिलहाल, IAF में 400 से अधिक रूसी फाइटर जेट हैं
वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 410 से अधिक सोवियत और रूसी फाइटर जेट हैं, जिनमें लाइसेंस प्राप्त और आयातित प्लेटफॉर्म भी हैं। इसके अलावा, भारत के पास रूसी निर्मित पनडुब्बियां, मिसाइलें, टैंक, हेलीकॉप्टर, पनडुब्बियां और फ्रिगेट भी हैं।
इसके बावजूद, भारत अब रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है और वैरायटी को अपनी रक्षा के लिए खरीद रहा है। हाल ही में उसने अमेरिका, इजराइल, फ्रांस और इटली से कई सैन्य उपकरण खरीद लिए हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसके बावजूद भारत को रूसी पुर्जों और आपूर्ति पर निर्भरता कम करने में दो दशक लग सकते हैं।
US-भारत समझौता ट्रंप के पहले कार्यकाल में
भारत-अमेरिका रक्षा समझौते में 15 बिलियन डॉलर से अधिक की बढ़ोतरी हुई थी, ट्रंप के पहले कार्यकाल में। इनमें P-8I समुद्री गश्ती विमान, AH-64E अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर शामिल थे।
भारत को अमेरिका ने मेजर डिफेंस पार्टनर घोषित किया
2016 में अमेरिका की संसद ने भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर बनाया। 2008 से 2023 के बीच भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश था। भारत ने इस दौरान विश्व भर में खरीदे गए हथियारों का 10% खरीदा था। रूस भारत को हथियारों की लगभग 62 प्रतिशत आपूर्ति करता है। बाद में फ्रांस (11%), अमेरिका (10%) और इजरायल (7%) उसके सहयोगी हैं। भारत को रूस से हथियारों की आपूर्ति कम करने के लिए अमेरिका लगातार प्रोत्साहित करता रहा है।
भारत-अमेरिका सैन्य समझौता
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिका से 512 CBU-97 गाइड बॉम्ब्स, 234 एयरक्राफ्ट टर्बोप्रॉप्स, 147 एयरक्राफ्ट टर्बोफैंस, 13 C-130 हर्कुलस एयरक्राफ्ट, 11C-17 ग्लोबमास्टर, 12APG-78 लॉन्गबो कॉम्बेट हेलिकॉप्टर रडार, 6 स्पेयर हेलिकॉप्टर टर्बोशॉफ्ट, 1354+AGM-114 हेलफायर एंटी टैंक मिसाइल इनमें से कुछ सैन्य उपकरण भी भेजे गए हैं।
समुद्री हथियारों में एक ऑस्टिन क्लास ट्रांसपोर्ट डॉक, 24 MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर, 12 p-81 पॉसीडॉन पैट्रोल एंड एंटी-सबमरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट, 6 S-61 सी किंग ASW हेलीकॉप्टर, 53 हर्पून एंटीशिप मिसाइल और 24 एकल गैस टर्बाइन शामिल हैं। यहाँ थल सेना के लिए 12 फायरफाइंडर काउंटर बैटरी रडार, 145 M-777 टाउड 155 mm होवित्जर, 1200 से अधिक M-982 एक्साकैलिबर आर्टिलरी शेल्स और 1,45,400 SIG असॉल्ट राइफल्स का सौदा हुआ।
कुल मिलाकर, ट्रंप के इस कार्यकाल में भारत-अमेरिका के बीच रक्षा समझौते की प्रक्रिया तेज हो सकती है, जिससे रूस को कष्ट उठाना पड़ा होगा।
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