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Indian Economy: भारत की अर्थव्यवस्था अगले साल जापान को पीछे छोड़ देगी, जापानि गुस्से में हैं

Indian Economy: 4th सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि अगले साल भारत नियंत्रित महंगाई, जीएसटी कलेक्शन और जीडीपी की रफ्तार में जापान से आगे निकलेगा।

4वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। अगले साल भारत जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा अगर इसकी यही गति जारी रहती है। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि भारत 2025 तक जापान से आगे निकल जाएगा। इन अनुमानों से जापानियों को बहुत गुस्सा आया है। 2010 तक जापान की अर्थव्यवस्था दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी थी। सिर्फ 15 साल में वह 5वें स्थान पर खिसकने वाला है.

भारत एक दशक पहले विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. अमिताभ कांत ने कहा कि 2022 में हम ब्रिटेन को पीछे छोड़ देंगे। जापान अब आगे है। उनका कहना था कि नियंत्रित महंगाई, जीडीपी में 8 फीसदी की वृद्धि और जीएसटी में रिकॉर्ड उछाल से भारत जल्द ही जापान से आगे निकल जाएगा। फिर भी भारत से अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान ही आगे हैं। इन दस वर्षों में, भारत ने दशक पहले दुनिया की ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। फिलहाल भारत का जीडीपी 3.7 ट्रिलियन डॉलर है।

जापान की येन मुद्रा में बड़ी कमजोरी

अप्रैल अंत में अंतर्राष्ट्रीय मोनेट्री फंड (IMF) ने अनुमान लगाया था कि भारत की जीडीपी 2025 में 4.34 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। यह जापान के 4.31 ट्रिलियन अरब डॉलर की तुलना में अधिक होगा। IMF ने पहले कहा था कि भारत 2026 में आगे निकलेगा। लेकिन जापान की मुद्रा येन में गिरावट के बाद अनुमान बदल गए हैं। यूरो की तुलना में येन की कीमत चालीस प्रतिशत तक गिर गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब जापान की इकोनॉमी भारत का मुकाबला नहीं कर पाएगी.

एक साल पहले जापान विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी।

एक साल पहले, जापान विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। पिछले साल जर्मनी ने उसे पीछे छोड़ दिया, और अगले साल भारत भी उसके पीछे होगा। जापान के लोगों को सबसे बड़ा झटका साल 2020 में लगा था, जब चीन की इकोनॉमी उनसे आगे निकल गई थी.। जापान की अर्थव्यवस्था पिछड़ने के कई कारण हैं। लोगों का कहना है कि देश बुढ़ापे में है। डिजिटलाइजेशन और कई विकास कार्यक्रमों का लोगों ने विरोध किया है। साथ ही, सरकार का नेतृत्व करने वाले लोग भी पुराने तरीके से खुश हैं। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड-19 महामारी ने जापानी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाया है।

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