जब मनमोहन ने वित्त मंत्री बनकर भारत की इकॉनमी को फास्ट ट्रैक पर लाया, वह अस्तित्व में थी।
आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की बहुत प्रशंसा की है। ये लोकसभा चुनाव से पहले संसद का अंतिम सत्र है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रिटायर हो रहे सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने विदाई भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा कि वैचारिक मतभेद अल्पकालीन हैं। इतने लंबे समय तक सदन का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया है। देश ने नेतृत्व किया है। PM मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह का योगदान हर बार हमारे लोकतंत्र पर चर्चा होगी। जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन ने देश को जीवन से जोड़ा है
हम लोग अपने कार्यकाल में उनके प्रतिभा के दर्शन को जानने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर चर्चा करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी का भी उल्लेख किया। उनका कहना था कि लोकसभा में मतदान करने का अवसर था। लेकिन वे जानते थे कि सत्तारूढ़ दल जीत जाएगा, डॉ. मनमोहन सिंह ने वीलचेयर पर आकर वोट डाला। यह एक सांसद की सजगता का प्रतीक है। वह एक प्रेरक दर्शक है।
देश में आर्थिक संकट आया था
1991 में जून में सरकार को भारी संकट का सामना करना पड़ा। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भरा हुआ था। स्थिति ऐसी थी कि इसमें एक अरब डॉलर बचा था। इससे देश केवल दो सप्ताह के खाने के सामान और तेल की मांग कर सकता था। इसके अलावा, भारी विदेशी कर्ज गले तक पहुंचा था। ऐसा ही श्रीलंका में हुआ है। भारत भी ऐसी स्थिति के करीब था। उस समय देश में चंद्रशेखर की सरकार थी। वह नवंबर 1990 से जून 1991 तक देश का सात महीने का प्रधानमंत्री था।21 जून 1991 को पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो ऐसा लग रहा था कि भारत तय समय पर विदेशी ऋण नहीं चुका पाएगा। डिफ़ॉल्टर की घोषणा होगी।
राव सरकार ने इस दौरान वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर आर्थिक सुधार और निर्णय भी लिए। इससे भारत की अर्थव्यवस्था बहुत बदल गई और फिर से पटरी पर आने लगी। इसके बाद, उन्होंने न सिर्फ विदेशी मुद्रा का भंडार भर दिया, बल्कि गिरवी रखे सोने को भी वापस लिया।
भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्ण युग
जब मनमोहन सिंह 2004 में देश का प्रधानमंत्री बन गया, तो उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को तेज कर दिया। उस दौर को भारत की अर्थव्यवस्था का आरम्भ कहा जाता है। मनमोहन सिंह सरकार के दौरान भारत का जीडीपी ग्रोथ 8 से 9 फीसदी तक पहुंच गया था। 2007 में भारत ने ऐतिहासिक 9% जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल किया। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती है। मनमोहन सिंह ने 2005 में वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) व्यवस्था लागू की थी। उनके पास अत्यंत जटिल टैक्स सिस्टम था।इसी तरह उद्योग ने सर्विस टैक्स व्यवस्था की शुरुआत की। 2006 में, उनके कार्यकाल में देश में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र का गठन किया गया था।
शेयर बाजार की तेजी
नरसिंह राव ने वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह को अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तनों करने की अनुमति दी। 1991 में उनका पहला बजट पेश हुआ। भारत के लिए इस बजट को गेम चेंजर बजट कहा जाता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी और देश में आर्थिक सुधार का खाका बनाया गया।इसने भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया। इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक जैसे प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने सुधारों से भरपूर बजट प्राप्त किया।
इस बजट ने विदेशी निवेश को भारत में आमंत्रित किया। मनमोहन सिंह की पहली यूपीए सरकार के कार्यकाल में सेंसेक्स ने 180 प्रतिशत का रिटर्न दिया था। मनमोहन सिंह जब साल 2004 में देश के प्रधानमंत्री बने थे उस समय सेंसेक्स 4962 अंक के स्तर पर था। मई 2009 तक यह 13,887 अंक के स्तर पर पहुंच गया था। 2014 में सेंसेक्स 24,717 रुपये पर पहुंचा।